भावी अध्यापक के प्रश्नों, कठिनाइयों को दृष्टि में रखते हुए हिन्दी भाषा शिक्षण की रचना की गई है। सेवारत अध्यापकों की अपेक्षाओं का ध्यान भी इस संस्करण में रखा गया है। हिन्दी भाषा शिक्षण में ‘संकेत भाषा’ जो अभिव्यक्ति का महत्त्वपूर्ण माध्यम है व सामान्य तथा विशेष, दोनों ही प्रकार के बालकों द्वारा प्रयोग में लाई जाती है, का समावेश किया गया है। ‘व्याकरण शिक्षण और प्रायोगिकता’ व्याकरण के प्रयोगात्मक पक्ष की चर्चा है जिसका केन्द्र छात्र सहभागिता, प्रतिभागिता व केन्द्रितता है। प्रायोगिक व्याकरण का पाठ्य सामग्री के साथ समवाय की आवश्यकता पर चर्चा है।
“विशेष बालकः विशेष प्रयास” के अन्तर्गत विशिष्ट बालकों को पहचान, अध्यापक के दायित्व, समग्र कक्षा के छात्रों के साथ समन्वयन सामाजिक भूमिका पर विचार किया गया है।
‘मूल्यांकन’ के अन्तर्गत सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन को विस्तार देते हुए सामान्य व विशेष बालकों के लिए तत्संबंधी सुझाव व निदेशन है। पाठ्य सहगामी क्रियाओं के सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन में महत्त्व, योगदान व आकलन पर चर्चा भी इस संस्करण में की गई है।
हिन्दी भाषा शिक्षण के सहायक माध्यम या साधन के अन्तर्गत पाठ्यसहगामी क्रियाओं, दृश्य श्रव्य साधनों, पुस्तकालय, पाठ्यपुस्तक व सहायक पुस्तक की अपरिहार्यता और सबसे महत्त्वपूर्ण भाषा अध्यापक की भूमिका का उल्लेख है। ‘हिन्दी भाषा शिक्षण’ भाषा शिक्षक के लिए भाषा शिक्षण की संवेदना को पहचानने व व्यवहार में लाने का प्रयास है।
Reviews
There are no reviews yet.