भूमिका
अधिगम का अर्थ है- सीखना अथवा सीखने वाले के व्यवहार में परिवर्तन। यह परिवर्तन प्रत्यक्ष या परोक्ष अनुभव के द्वारा होता है। जीवन की विभिन्न क्रियाओं को किस प्रकार किया प्रायः यहा पनि असहलाता है। संकुचित अर्थ में सीखना ज्ञान प्राप्ति की क्रिया है और व्यापक अर्थ में सीखना सभी स्थानों पर होता है- घर तथा घर के बाहर भी। सीखना एक मानसिक अर्थ में सीखना व्यक्ति जान-बूझकर अपनाता है, जिससे वह अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सके। क्रिया है, जिसे खूरसिका मूल्यांकन, मापन, आकलन सिखाने वाले व्यक्ति द्वारा किया जाता है। यह आकलन सीखने वाले के द्वारा स्वयं भी सम्भव होता है।
आकालिये प्रत्येक क्षेत्र में सीखे हुए ज्ञान के आकलन की आवश्यकता पड़ती है। चिकित्सक अपनी औषधि का आकलन रोगी में होने वाले परिवर्तन के आधार पर करता है। कारीगर अपने अपनी बनी हुई वस्तुओं का आकलन खरीददारों अथवा मालिकों की सम्मतियों से किया करता है। विधि विशेषज्ञ एक वकील अपनी बहस का आकलन न्यायाधीश महोदय द्वारा दिये गये निर्णय के आधार पर करता है। जिस प्रकार बाग का माली अपने कोमल पौधों का आकलन करके सुन्दर लगने की दृष्टि से करता है, उसी प्रकार शिक्षण प्रक्रिया में शिक्षक को भी छात्र का आकलन करना पड़ता है। वह अपने शिक्षार्थियों में हुए व्यवहार परिवर्तन के आधार पर मूल्यांकन करता है। शैक्षिक आकलन एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसका आधार निर्धारित शैक्षिक उद्देश्य (अनुदेशात्मक उद्देश्य) होते हैं तथा इनसे सम्बन्धित विषयवस्तु (Contents), शिक्षण- अधिगम क्रियाएँ (Teaching-learning activities) तथा मूल्यांकन पद्धतियों के द्वारा बालक या शिक्षार्थी के व्यवहार में परिवर्तन लाया जाता है।
राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद् (NCTE) द्वारा अधिगम और आकलन की आवश्यकता को देखते हुए बी.एड. प्रशिक्षण में इसका अध्ययन-अध्यापन अनिवार्य विषय के रूप में कर दिया गया है। तद्नुसार पुस्तक की अध्ययन सामग्री नवीन पाठ्यक्रमानुसार निम्नलिखित अध्यायों में प्रस्तुत की गयी है-
(1) आकलन, मापन, मूल्यांकन और संशोधित वर्गीकरण । (2) आकलन, मापन एवं मूल्यांकन के उपकरण और प्रविधियाँ। (3) आकलन में नवीन प्रवृत्तियाँ और मुद्दे। (4) सांख्यिकीय विधियाँ और प्राप्तांक विश्लेषण या व्याख्या।
अधिगम के लिये आकलन (Assessment for learning) बी.एड. द्वितीय वर्ष के परीक्षार्थियों हेतु निर्मित की गयी है। पुस्तक प्रस्तुतीकरण में शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालयों से सम्बद्ध विद्वान् प्राचार्यों तथा प्राध्यापकों ने जो अमूल्य सुझाव दिये हैं, हम उनका हृदय से आभार प्रकट करते हैं।
आशा करते हैं कि पुस्तक के द्वारा छात्रों का कुशल मार्गदर्शन हो सकेगा। पुस्तक के आगामी संस्करण में संशोधन हेतु आपके अमूल्य सुझावों की सदैव प्रतीक्षा रहेगी।
मंगलकामनाओं सहित….
सम्वत् 2074
जनवरी, वर्ष 2018 289
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