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अध्यापक शिक्षा एवं प्रशिक्षण तकनीकी | Teacher Education & Training Technology (Hindi)

Author: R.A. Sharma

Publisher: R.Lall Book Depot

ISBN: 9789384696160

 

Original price was: ₹400.00.Current price is: ₹320.00.

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भूमिका

‘अध्यापक शिक्षा एवं प्रशिक्षण तकनीकी’ के शीर्षक में दो पक्षों की सम्मिलित किया गया है-(1) अध्यापक शिक्षा तथा (2) अध्यापक प्रशिक्षण तकनीकी। अध्यापक शिक्षा का अधिक व्यापक क्षेत्र है, इसमें सैद्धान्तिक, व्यवहारिक तथा भावात्मक तीनों पक्षों को महत्व दिया जाता है, जबकि अध्यापक प्रशिक्षण तकनीकी में ‘व्यवहारिक पक्ष’ को अधिक प्राथमिकता दी जाती है। अध्यापक शिक्षा और अध्यापक प्रशिक्षण की कार्यशाला तथा प्रयोगशाला विद्यालयों की कक्षायें ही हैं। विद्यालयों की कक्षाओं में छात्राध्यापकों को शिक्षण का अभ्यास एवं प्रशिक्षण का अवसर प्रदान किया जाता है। कोठारी आयोग ने कक्षा-शिक्षण को राष्ट्रीय विकास का मुख्य साधन बताया है- “भारत के भाग्य का निर्माण विद्यालय की कक्षाओं में हो रहा है।” (Destiny of India is being shaped in her classroom)।

शिक्षण प्रक्रिया से व्यक्ति, परिवार, समाज तथा राष्ट्र का विकास किया जाता है। शिक्षा

सामाजिक परिवर्तन तथा सामाजिक समस्याओं के समाधान का सशक्त यन्त्र है। शिक्षा समाज में परिवर्तन शान्तिपूर्ण ढंग से लाती है। अध्यापक-शिक्षा संस्थाओं में छात्राध्यापकों को कक्षा शिक्षण के लिए तैयार किया जाता है। इस सम्बन्ध में यह अवधारणा है कि प्रभावशाली अध्यापक जन्मजात होते हैं और अध्यापक-प्रशिक्षण द्वारा तैयार भी किये जा सकते हैं। अभ्यास से कौशल विकसित होते हैं।

शिक्षण कला, विज्ञान तथा वृत्ति (व्यवसाय) है। इसलिए अध्यापक शिक्षा में कला कीशलों, विज्ञान के अधिनियमों तथा शिक्षण वृत्ति की आचार संहिता का बोध कराया जाता है। इसके लिए अध्यापक-शिक्षा के पाठ्यक्रम में शिक्षणशास्त्र तथा शिक्षण तकनीकी की पाठ्यवस्तु को सम्मिलित किया गया है, जिससे शिक्षण सक्षमताओं और आचार संहिता का विकास किया जा सके। भारत में अध्यापक-शिक्षा की पाठ्यवस्तु में ‘शिक्षण-तकनीकी’ को 1970 के दशक में

सम्मिलित किया गया। इससे पूर्व ‘शिक्षण कला’ को पढ़ाया जाता था। शिक्षण तकनीकी ने शिक्षण प्रक्रिया में मशीनों, माध्यमों, सॉफ्टवेयर, हार्डवेयर तथा प्रणाली विश्लेषण को महत्व दिया। लगभग चार दशक तक अध्यापक-शिक्षा में शिक्षण तकनीकी का प्रचार-प्रसार तथा उपयोग हुआ। इस अन्तराल के वाद यह अनुभव किया गया कि शिक्षण तकनीकी न तो अध्यापक शिक्षा के उद्देश्यों को प्राप्त कर पा रही है और न ही प्रभावशाली और सक्षम अध्यापकों को तैयार कर सकी है। शिक्षण तकनीकी से भावात्मक पक्ष का विकास नहीं हो सकता। शिक्षक की आचार संहिता होती है, उसी से छात्रों में सद्गुणों तथा मूल्यों का विकास किया जा सकता है। मूल्यविहीन शिक्षा को अध्यापक प्रशिक्षण ही कहा जा सकता है अध्यापक शिक्षा नहीं। इसलिए भारत में लगभग 1980 के दशक में अध्यापक-शिक्षा की पाठ्यवस्तु में शिक्षणशास्त्र (Pedagogy) को महत्व दिया गया, क्योंकि शिक्षणशास्त्र में शिक्षण को कला, विज्ञान तथा वृत्तित मानते हैं। शिक्षणशास्त्र में ज्ञानात्मक, भावात्मक तथा कौशलात्मक तीनों पक्षों के विकास को महत्व दिया जाता है। शिक्षणशास्त्र में शिक्षक की आचार संहिता, मानक तथा मूल्यों को प्राथमिकता दी जाती ह

Weight 1000 g
Dimensions 24 × 16 × 3 cm

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