भूमिका
भारतवर्ष जैसे विकासशील देश में जनसंख्या वृद्धि के साथ रोजगार के अवसरों में भी वृद्धि हुई है। रोजगार प्राप्ति में स्वस्थ प्रतिस्पर्दा को जन्म दिया है। इन बदलती परिस्थितियों में भौतिक आवश्यकताओं की दीर्घ श्रृंखला ने आज मनुष्य को सोचने के लिये बाध्य कर दिया है कि वह अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति एवं कार्यों का समापन किस प्रकार तथा कम समय में कैसे सम्पन्न करें ? सम्पूर्ण संसार में विविध प्रकार के कार्यों की व्यवस्था तथा समापन के लिये कम्प्यूटर प्रणाली का आगमन सुखदायी एवं फलदायी बन गया है। सूचना एवं सम्प्रेषण/संचार तकनीकी आज यह हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन गयी है। आज कोई भी कार्यालय, उद्योग-व्यवसाय, सरकारी तन्त्र आदि सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी के अभाव में सुचारु रूप से नहीं चल सकते। सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी पर इस इक्कीसवीं शताब्दी में मानव पूरी तरह निर्भर हो गया है।
सूचना एवं सम्प्रेषण या संचार तकनीकी ने आज समस्त संसार के विस्तार को अत्यन्त लघु कर दिया है। संसार की सारी व्यवस्थाएँ, समस्याएँ और उनके समाधान परस्पर निकट आ गये हैं। इनसेट एवं इन्टरनेट प्रणाली ने एक देश को दूसरे देश के निकट लाकर खड़ा कर दिया है। सम्पूर्ण विश्व में इस तकनीकी के द्वारा सभी व्यवस्थाएँ सुचारू रूप से संचालित हो रही हैं। सभी देश इसके माध्यम से एक-दूसरे के सम्पर्क में आकर प्रौद्योगिकी एवं तकनीकी विकास में प्रयासरत हैं। सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी के माध्यम से खेल जगत्, औद्योगिक जगत्, व्यावसायिक जगत् एवं शिक्षा जगत् को एक नया आयाम मिला है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 की अवधारणा के अनुसार सभी विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में स
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