जेंडर और समाज संबंधी परिप्रेक्ष्य खंड 1
आमुख
यह सर्वविदित है कि बच्चे शिक्षण प्रक्रिया का केंद्र बिंदु होते हैं और इसमें शिक्षक प्रमुख संसाधन होते हैं। एक पेशेवर के रूप में शिक्षक बच्चों को गुणात्मक शिक्षा प्रदान करने तथा उनके शिक्षण परिवेश में गुणात्मक बदलाव लाने में अपना योगदान करते हैं। पाठ्यचर्या गतिविधियों की संयोजना में शिक्षार्थियों के सरोकारों को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए। शिक्षक प्रशिक्षकों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि वे अध्यापकों को समावेशी अध्यापन प्रक्रिया को अपनाने के लिए प्रेरित करते हैं। इसके साथ ही वे पाठ्यचर्या गतिविधियों के संयोजन में शिक्षार्थियों के सरोकारों को भी ध्यान में रखने में मदद करते हैं।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (1986) में शिक्षा को सामाजिक परिवर्तन के एक महत्वपूर्ण कारक के रूप में स्वीकार किया गया है। यह नीति पाठ्यचर्या संबंधी भेदभाव को दूर करेगी तथा निर्णयकर्ताओं, प्रशासकों और योजनाकार जैसे पेशेवरों को जेंडर समानता के लिए अंतः क्षेपक की भूमिका निभाने के लिए सक्षम बनाएगी। क्रियान्वयन हेतु कार्यक्रम (पी.ओ.ए.) 1992 में सभी अध्यापकों और अनुदेशकों को महिला सशक्तीकरण के प्रतिनिधियों या निष्पादकों के तौर पर प्रशिक्षित करने, शिक्षक प्रशिक्षकों और प्रशासकों के लिए जेंडर संवेदीकरण कार्यक्रमों के विकास तथा जेंडर संवेदी पाठ्यचर्या विकास एवं पाठ्यपुस्तकों से लिंगभेद आदि को समाप्त करने पर स्पष्ट रूप से बल दिया गया है।
राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005 में भी अध्यापकों की भूमिका को मात्र ज्ञान के स्रोत से बदलकर शिक्षण के सुगमकर्ता के रूप में बदलने की आवश्यकता व्यक्त की गई है। इस उद्देश्य के लिए प्रशिक्षण में आवश्यक अभिवृत्यात्मक बदलाव लाने पर बल दिया जाना चाहिए। इस प्रकार के बदलाव को लाने का सर्वोत्तम उपाय स्वयं अपने दृष्टिकोण में भेदभाव को पहचानने और अपने काम में ‘जेंडर मुक्त’ दृष्टिकोण बनाए रखना होगा। इस दृष्टिकोण के माध्यम से अध्यापकों को उनकी वर्तमान विचारात्मक कठिनाइयों के प्रति जागरूक करना है। इसके साथ ही विभेदमूलक व्यवहार नीतियों से बचने या उन्हें कम करने के लिए सायास प्रयास हेतु तैयार भी करना है जिससे बढ़ती उम्र के लड़के और लड़कियाँ प्रभावित होते हैं।
शिक्षा में जेंडर मुद्दे (2006) में भी आत्मचिंतक, सहभागी और शोध उन्मुखी शिक्षक प्रशिक्षण पर बल दिया है। इसमें अध्यापकों और शिक्षक-प्रशिक्षकों के लिए जेंडर मुद्दों को शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में शामिल करने के उपायों से संबंधित संसाधन सामग्री विकसित करने की आवश्यकता का उल्लेख किया गया है।
जेंडर अध्ययन विभाग, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद्, ने शिक्षक प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण कार्यक्रमों को सदैव प्राथमिकता दी है। ये कार्यक्रम शिक्षा में जेंडर सरोकारों के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने हेतु महत्वपूर्ण साधन सिद्ध हुए हैं। जेंडर मुद्दों पर राज्य सरकारें, गैर-सरकारी संगठन तथा अन्य संगठन इस प्रशिक्षण सामग्री को शिक्षा से संबद्ध अपने कार्मिकों के लिए स्रोत सामग्री के रूप में उपयोग कर सकते हैं।
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