भूमिका
प्रस्तुत पुस्तक शैक्षिक अध्ययन और प्रणाली (Educational Studies and System) विभिन्न विश्वविद्यालयों (चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, जयपुर विश्वविद्यालय राजस्थान, गोरखपुर विश्वविद्यालय और गढ़वाल विश्वविद्यालय) के दो वर्षीय एम०एड० के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार तैयार की गई है। पाठ्यक्रम “शैक्षिक अध्ययन और प्रणाली” एन०सी०टी०ई० द्वारा निर्धारित द्वितीय सत्र की नवीन इकाइयों के अनुसार विद्यार्थियों के हितार्थ तैयार किया गया है।
वर्तमान समय में शिक्षा के क्षेत्र में नवीनीकरण और आधुनिकीकरण के प्रयासों में तीव्र गति से वृद्धि एवं परिवर्तन हो रहे हैं। शिक्षक, शिक्षा प्रक्रिया का सूत्रधार हैं। इसलिए हो रहे परिवर्तनों के कारण उन्हें अधिक कुशल, प्रभावपूर्ण तथा प्रबुद्ध बनाने की आवश्यकता है।
शिक्षा के विकास का शिक्षा सम्बन्धी प्रस्तावों, आयोगों एवं समितियों के सुझावों का अध्ययन उनके अपने
भिन्न-भिन्न क्रमों में प्रस्तुत न करके एक विशेष तार्किक क्रम में प्रस्तुत किया गया है; यथा-शिक्षा की प्रकृति, सम्बन्धित मुद्दे, सिद्धान्त एवं बुनियादी अवधारणाएँ, स्कूल शिक्षा के उभरते रुझानों पर चर्चा आदि। हमें विश्वास है कि इस विशिष्ट तार्किक क्रम में अध्ययन करने से तथ्यों को समझने और उन्हें स्मरण रखने की सुविधा होगी।
प्रस्तुत पुस्तक में NCF, LBSE, UGC, SCERT, NCERT, RTE आदि के सुझावों, प्रस्तावों आदि का मूल्यांकन कुछ आधारभूत मानदण्डों के आधार पर किया गया है। तब उनका वस्तुनिष्ठ होना स्वाभाविक है। साथ ही विद्यार्थी विभिन्न सन्दर्भों में स्वयं को सोचने के लिए प्रेरित होगा। इससे विद्यार्थी विषय सामग्री को आत्मसात कर सकेंगे। साथ ही विश्वास है कि वे इसे स्मरण भी रख सकेंगे। राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढाँचा (एन०सी०एफ० 2005) भारत के शैक्षणिक अनुसंधान और प्रशिक्षण (एन०सी०ई०आर०टी०) को राष्ट्रीय परिषद द्वारा 1975, 1988, 2000 और 2005 में प्रकाशित चार राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढाँचों में से एक है। सन्दर्भवश जो आँकड़े दिए गए है, वह अनुमानित आँकड़ों के रूप में ही लिए जाने चाहिए। ये आँकड़ें विकास की सापेक्षिक स्थिति को स्पष्ट करने के लिए दिए गए हैं।
पाठकों से निवेदन है कि वे पुस्तक में सुधार हेतु अपने सुझाव भेजें, जो कि भविष्य में पुस्तक को और अधिक परिष्कृत करने के लिए अपेक्षित है। पुस्तक को सरल, स्पष्ट एवं बोधगम्य शैली में लिखा गया है। आशा है पुस्तक का यह प्रथम संस्करण एम०एड० छात्र एवं छात्राओं के लिए अत्यन्त उपयोगी रहेगा। कोई भी कार्य ईश्वर की कृपा और पूज्यजनों के आशीर्वाद से ही शुभता से पूर्ण होता है। अतः उन्हें नमन करते हुए हम उन सब विद्वानों के प्रति आभार प्रकट करते हैं जिन्होंने इस पुस्तक को यह रूप देने में प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग दिया है।
– लेखकगण
डॉ० बबीता चौधरी
डॉ० विनीमा एम० चौधरी
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