प्राक्कथन
वर्तमान काल में मार्गदर्शन एवं परामर्श को शैक्षिक प्रक्रिया का एक महत्त्वपूर्ण अंग माना जाता है। मार्गदर्शन एवं परामर्श की प्रक्रिया जटिल एवं मनोवैज्ञानिक है, जिस पर देश, काल एवं परिस्थितियों का भी प्रभाव पड़ता है। यह प्रक्रिया इतनी सरल नहीं है कि शिक्षक के पढ़ाते ही छात्र सब कुछ सीख जाए। शिक्षक तो कोई भी व्यक्ति बन सकता है, परन्तु यह कहना निराधार है कि प्रत्येक शिक्षक मार्गदर्शन का कार्य भली-भांति कर सकता है। मार्गदर्शन और परामर्श का परस्पर घनिष्ठ संबंध है और दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं।
इस अपरिहार्य भूमिका को निभाने के लिए विद्यालयों में प्रशिक्षित मार्गदर्शकों को तथा अनुभवी परामर्शदाताओं की आवश्यकता पड़ती है। इस दृष्टि से हरियाणा के विश्वविद्यालय ने भी बी०एड० के पाठ्यक्रम में वांछित परिवर्तन किए हैं। प्रस्तुत पुस्तक ‘मार्गदर्शन एवं परामर्श’ बी०एड० के द्वितीय वर्ष के छात्रों से संबंधित है और इसे पाठ्यक्रम में कोर्स 11 के अन्तर्गत (Optional Subject-IV) का नाम दिया गया है।
इस पुस्तक में पाठ्यक्रम को दो इकाइयों में विभाजित किया गया है। प्रत्येक इकाई के प्रत्येक बिन्दू को स्पष्ट रूप से बताया गया है। पुस्तक की भाषा अत्यन्त ही सरल तथा प्रवाहमयी है। विषय के अनुकूल यह पुस्तक प्रत्येक स्तर के विद्यार्थी को ध्यान में रखकर लिखी गई है। आशा है कि विद्यार्थीगण तथा अध्यापकगण इस पुस्तक का स्वागत करेंगे।
अन्त में हम उन सभी विद्वानों के प्रति जिनकी रचनाओं और कार्यों को हमने अपनी सुविधानुसार उपयोग किया है, आभार प्रदर्शन करना अपना प्रथम कर्त्तव्य समझते हैं। हम इस पुस्तक के प्रकाशक अमित प्रकाशन के प्रति भी आभारी हैं, जिन्होंने इस पुस्तक को थोड़े समय में अत्युत्तम ढंग से प्रस्तुत किया है। आशा है कि यह पुस्तक सर्वज्ञ पाठकों की अपेक्षा के अनुरूप उपयोगी सिद्ध होगी। हमारा पाठकों से विनम्र अनुरोध है कि पुस्तक की रचना एवं विषय सामग्री से संबंधित कमियों से हमें अवश्य अवगत कराएं ताकि आगामी संस्करण में इनका निवारण किया जा सके।
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