भूमिका
शिक्षा तथा मनोविज्ञान के शोध अध्ययनों को सामान्यत दो वर्गों में विभाजित किया गया है-(i) गुणात्मक अनुसंधान (Qualitative Research) तथा परिमाणात्मक अनुसंधान (Quanitative Research)। गुणात्मक अनुसंधान में अनुसंधान उपकरणों का उपयोग नहीं होता है, अपितु पाठ्यवस्तु विश्लेषण (Contant Analysis) प्रविधि का उपयोग किया जाता है, जिसमें तथ्यों एवं परिस्थितियों के आधार पर तार्किक ढंग से निष्कर्षों को ज्ञात किया जाता है। दार्शनिक अनुसंधान एवं ऐतिहासिक अनुसंधान में गुणात्मक तथ्यों एवं परिस्थितियों को महत्व दिया जाता है।
सामान्यतः शिक्षा तथा मनोविज्ञान के परिमाणात्मक अनुसंधान में वैज्ञानिक विधियों का उपयोग होता है। इसमें शोध प्रक्रिया का प्रारूप परिकल्पनाओं की पुष्टि के लिए विकसित किया जाता है। परिकल्पनाओं की पुष्टि प्रदत्तों के आधार पर की जाती है। सांख्यिकी प्रविधियों के प्रयोग करके निष्कर्ष प्राप्त किये जाते हैं। वैज्ञानिक अनुसंधानों में उपकरणों की सहायता से प्रदत्तों का संकलन किया जाता है। इसके अन्तर्गत अनेक प्रकार के उपकरण, अनुसूचियाँ, अनुमापनियाँ आदि का प्रयोग किया जाता है। इसलिए शोध छात्रों के लिए यह आवश्यक है कि उन्हें अनुसंधान उपकरणों-परीक्षण, मापनी, अनुसूचियाँ तथा रेटिंग आदि का बोध होना चाहिए। यदि शोधकर्ता को अनुसंधान उपकरणों का बोध नहीं है तो वह शोध प्रक्रिया का समुचित प्रयोग नहीं कर सकता है।
मापन के क्षेत्र में अधिक शुद्ध उपकरणें के निर्माण का प्रयास किया जा रहा है। अधिक शुद्ध उपकरण के लिए आवश्यक होता है कि मापन त्रुटियाँ व्यक्तिगत त्रुटि, चर त्रुटि, अचल त्रुटि तथा अर्थापन त्रुटि को कम कर लिया जाए तब उपकरण वस्तुनिष्ठ विश्वसनीय तथा वैध होता है। ऐसे उपकरण को प्रमापीकृत किया जा सकता है। प्रमापीकृत उपकरणों का शोध कार्यों, निर्देशन प्रक्रिया तथा प्रशासन में अधिक प्रयोग किया जाता है। प्रमापीकृत उपकरण के मानकों का विकास विशिष्ट समूहों के लिए किया जाता है, जिनकी सहायता से प्राप्तांकों का अर्थापन शुद्ध रूप में किया जाता है, परन्तु इनकी रचना करना कठिन होता है। इसके लिए विशिष्ट सोपानों का अनुसरण किया जाता है, इसमें सामान्यतः स्टेनले तथा रॉस के परीक्षण निर्माण के सोपानों का अनुसरण किया जाता है जो है- (1) नियोजन करना (Planning), (2) तैयार करना या पदों को बनाना (Preparation), (3) पदों की जाँच करना (Trying out) (4) परीक्षा का मूल्यांकन करना (Evaluating) है। उपकरण के निर्माण के लिए विशेष प्रशिक्षण एवं अभ्यास की भी आवश्यकता होती है।
शिक्षा तथा मनोविज्ञान अध्ययन विषय व्यवहारिक विज्ञानों (Behavioural Science) के क्षेत्र में आते हैं। मनुष्य की प्रकृति का अध्ययन उसके व्यवहारों की सहायता से किया जाता है। इन विषयों के शोध-अध्ययनों तथा मापन की प्रक्रिया में व्यवहारों को ही महत्व दिया जाता है। इन विषयों के मापन की प्रक्रिया अप्रत्यक्ष (Indirect) होती है, सभी मनुष्य के गुणों (variables) का मापन व्यवहारों से किया जाता है इस प्रकार मापन की प्रक्रिया की विशेषताएँ हैं-
. मनुष्य तथा वस्तु का मापन नहीं किया जाता है, अपितु उसके गुणों (चरों) का मापन
किया जाता है। मापन की प्रक्रिया अप्रत्यक्ष होती है इसमें व्यवहारों की सहायता से सभी गुणों (चरो) का 2.
मापन किया जाता है। 3. मापन की प्रक्रिया सापेक्ष (Relative) होती है और सन्दर्भ विन्दु समूह होता है।
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