आमुख
शिक्षा संपूर्ण विश्व का संचालन, पालन एवं संरक्षण करती है। परिवर्तनशील युग में नित नयी चुनौतियाँ जन्म लेती रहती हैं। समाज की परिस्थितियाँ बदलती रहती हैं। अतः समयानुसार शिक्षण नीति में भी परिवर्तन होना चाहिए। शैक्षिक दृष्टिकोण, शिक्षा संबंधी इसी परिवर्तन को दिशा देता है। शिक्षा की गुणवत्ता पर जिस तत्व का सर्वाधिक प्रभाव पड़ता है, वह है- शैक्षिक दृष्टिकोण। यही कारण है कि अध्यापक प्रशिक्षण एवं चयन प्रक्रिया के अंतर्गत इसका अध्ययन अनिवार्य है। इस पुस्तक में वैदिक काल से लेकर आज तक की शैक्षिक नीतियों को रेखांकित करने का प्रयास किया गया है। साथ ही साथ उन बिन्दुओं का भी समावेश करने का प्रयास किया गया है, जिन्होंने शैक्षिक नीतियों के परिवर्तन में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से भूमिका निभाई है।
शैक्षिक दृष्टिकोण पुस्तक डी.एस.सी., टी.ई.टी. एवं टी.जी.टी सभी अध्यापक चयन परीक्षाओं के लिए उपयोगी है। यह पूर्णतः इन परीक्षाओं के लिए निर्धारित नवीन पाठ्यक्रम पर आधारित है। इस पुस्तक में लगभग 1,000 वस्तुनिष्ठ प्रश्न उपलब्ध हैं। इसमें वैदिक शिक्षा, बौद्ध शिक्षा, जैन शिक्षा, मुस्लिम शिक्षा, मिशनरी शिक्षा, ब्रिटिशकालीन शिक्षा, स्वतंत्र्योत्तर शिक्षा आदि के अंतर्गत आने वाले लगभग सभी अंशों को समेटने का प्रयास किया गया है। प्रत्येक इकाई में दो भाग हैं। पहले भाग में संबंधित बिन्दुओं का संक्षिप्त वर्णन है। दूसरे भाग में उनसे संबंधित अभ्यास प्रश्न हैं। इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता है कि परीक्षाओं में अब रटने को प्रेरित कर वाले प्रश्नों की संख्या में कमी आयी है। उनका स्थान अब अवबोधात्मक, प्रयोगात्मक व कौशलात्मक प्रश्नों ने ले लिया है। किन्तु बाज़ार में उपलब्ध पुस्तकें इस परिवर्तन को पूरी तरह नहीं अपना पायी हैं। इस कारण परीक्षार्थियों को असुविधा हो रही है। इस पुस्तक की रचना का उद्देश्य इसी असुविधा को दूर करना है।
हमें विश्वास है कि यह पुस्तक शिक्षकों की नियुक्ति, परीक्षार्थियों की सफलता एवं शिक्षण की गुणवत्ता में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगी। इस पुस्तक रचना की प्रेरणा एवं प्रकाशन के लिए सुरेश चन्द्र शर्मा जी को हार्दिक धन्यवाद। शिक्षण एवं शिक्षकों की सफलता की आशा में…….
प्रो. प्रेम नारायण सिंह डॉ. राजीव कुमार सिंह
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