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हिन्दी भाषा का शिक्षण विज्ञान (Pedagogy of Hindi)

Author: Baijnath Sharma 

Publisher: Radha Prakashan Mandir

SKU: 46189

240.00

भूमिका

शिक्षण एक कला है और कला जीवन का एक अंग माना गया है। आकर्षणहीन कला में जीवन का सदैव अभाव ही रहता है। शिक्षण भी शनैः शनैः कलाविहीन होकर यान्त्रिक बनता जा रहा है। यान्त्रिक प्रक्रिया में नियमितता अवश्य होती है किन्तु शिक्षक की आन्तरिक सूझ का कोई स्थान नहीं। इसीलिये शिक्षण में नीरसता आती जा रही है और इसका समाधान शिक्षण की कौशलपूर्ण कला से ही सम्भव है।

प्रस्तुत पुस्तक में मैंने शिक्षण और विशेषकर हिन्दी शिक्षण की नीरसता को कम करके सरस और सजीव बनाने का प्रयास किया है। शिक्षण में ही नहीं अपितु जीवन के हर क्षेत्र में की जाने वाली प्रत्येक क्रिया का निश्चित प्रयोजन होता है और उस प्रयोजन की पूर्ति एक नहीं कई प्रकार से की जा सकती है। छात्रों की आयु, पारिवारिक पृष्ठभूमि, स्थानीय परिस्थितियाँ, शैक्षिक स्तर आदि को ध्यान में रखते हुए जहाँ जो प्रकार सर्वाधिक उपयुक्त प्रतीत हो और प्रभावी हो, वहाँ उसी का उपयोग परिस्थितिजन्य स्थिति में किया जाना चाहिये। इस दृष्टि से शिक्षक को पाठ एवं शिक्षार्थियों की प्रकृति को ध्यान में रखते हुए स्थान-स्थान पर अपनी शिक्षण युक्तिर्यो और विधियों को बदलना होगा। यही शिक्षण की परिवर्तनशीलता है और इस पुस्तक में हिन्दी साहित्य की प्रत्येक विधा को पढ़ाते समय शिक्षण में परिवर्तनशीलता किस प्रकार लायी जाये, इसी हेतु शिक्षक की सूझबूझ को जागृत करने का हर सम्भव प्रयास किया गया है। प्रस्तुत पुस्तक के लेखन का मूलोद्देश्य भी यही रहा है। पुस्तक लेखन के सोद्देश्य प्रयास में कितनो सफलता मिली है, इसका निर्णय तो सुधी पाठकगण ही कर पायेंगे।

पुस्तक के प्रस्तुत प्रारूप में नवीन पाठ्यक्रनुसार परिवर्तन किया गया है। पुस्तक को निम्नलिखित अध्यायों में वर्गीकृत कर समस्त आवश्यक सामग्री की चर्चा की गयी है- (1) हिन्दी भाषा का वैज्ञानिक स्वरूप-वर्ण विचार, शब्द विचार एवं वाक्य विचार।

(1.1) भाषायी कौशल विकास हेतु विदिय पक्षों के स्वरूप का शिक्षण श्रवण, उच्चारण, वर्तनी, सस्वर वाचन, मौन वाचन, मौखिक एवं लिखित अभिव्यक्ति। (2) मातृभाषा/राष्ट्रभाषा के रूप में हिन्दी शिक्षण की स्थिति, मातृभाषा का महत्त्व, उद्देश्य, कक्षा शिक्षण के सिद्धान्त एवं अन्य विषयों के साथ समन्वय। (3) हिन्दो भाषा की विभिन्न विधाओं का शिक्षण। (3.1) हिन्दी भाषा शिक्षण की सहायक सामग्री, पाठ्य-पुस्तक एवं पुस्तकालय। (4) हिन्दी भाषा शिक्षण की शिक्षण विधियों का ज्ञान एवं अवबोध। (5) हिन्दी भाषा शिक्षण में मूल्यांकन। (6) हिन्दी विषयं का सूक्ष्म शिक्षण तथा शैक्षणिक कुशलताएँ।

मैं अपने उन सभी पाठकों के प्रति आभार प्रकट करता हूँ जिन्होंने मुझे समय-समय पर अपने अमूल्य सुझाव भेजे हैं। पं. श्री ॐ प्रकाश पाराशर, प्रबन्ध निदेशक, राधा प्रकाशन मन्दिर प्रा. लि. एवं निदेशक द्वय श्री आशीष पाराशर एवं श्री वरुण पाराशर, जिन्होंने पुस्तक को सुन्दरतम ढंग से प्रकाशित कर आप तक पहुँचाने का प्रयास किया, मैं उनका भी हृदय से आभार प्रकट करता हूँ। उन सुधी पाठकों का भी आभार मानूँगा जो पुस्तक के प्रस्तुत स्वरूप को पढ़कर अपने अमूल्य सुझाव मुझे प्रेषित करेंगे।

रामनवमी, सम्वत् 2074

– बैजनाथ शर्मा

Weight 620 g
Dimensions 22 × 14 × 3 cm

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