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विषय तथा संकाया नुशासन बोध | Understanding Disciplines and Subjects (Hindi)

Author: Rajkumari SharmaH.P.Singh, S.K. Dubey,  Anjna Tiwari

Publisher- Radha Prakashan Mandir

ISBN: 9789386445681

96.00

भूमिका

भारतीय परिकल्पय के अनुसार अनुसंस्कृत का है। राके उपसर्ग लगाकर इस शब्द की रचना हुई है। शब्दधातु से है। कह है स्वेच्छापूर्वक नियमों तथा नियन्त्रणकारका विद्वान द्वारा उन्नों में इसे संघम भी कहा गया है। वर्तमान परम्परागत शब्द अनुशासन अंग्रेजी के शब्द डिसिप्लिन (Discipline) का रुपान्तर है, जो कि निभाषा के शब्द लिया गया है, जिसका अर्थ है सीखना। आधुनिक युग मेंडिस (Discipline) व्यवहारों में नियमबद्धता से लिया जाता है जो कि आत्म-नियन्त्रण एवं समुचित प्रशिक्षण में आता है।

यह अनुशासन शासन विभिन्न संकायों/अध्ययन क्षेत्रों के लिये महत्वपूर्ण होता है। कहीं-कहीं इसको विभिन्न विषर्यो की क्रमबद्धता और व्यवस्था के रूप में देखा जाता है ती कीं इसकी छात्रों को नियमों का पालन करने के सन्दर्भ में प्रयुक्त किया जाता है। कहीं-कहीं अनुशासन को विद्यालयी विषयों के सन्दर्भ में भी प्रयुक्त किया जाता है। अतः अनुशासन (Disciplines) की अवधारणा व्यापक है। भारतीय तथा पाश्चात्य परिकल्पना के अनुसार अनुशासन सदैव विद्यालय अथवा शिक्षा से सम्बन्धित शिक्षकों एवं प्रशासकों के चिन्तन का विषय रहा है। अनुशासन की अवधारणा केवल भारत में हो नहीं वरन पूरे विश्व में समाहित है। अनुशासन देश की उन्नति एवं बालक के विकास में रीढ़ का कार्य करता है। अनुशासन केवल विद्यालयों को ही नहीं वरन् राष्ट्र को जीवित रखने के लिये एक आवश्यक साधन है।

राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद् (NCTE) द्वारा विषय अध्ययन क्षेत्र/अनुशासन की आवश्यकता को देखते हुए बी. एड. प्रशिक्षण में इसका अध्ययन-अध्यापन अनिवार्य विषय के रूप में कर दिया गया है। तद्‌नुसार इसकी अध्ययन सामग्री को नवीन पाठ्यक्रम

Weight 200 g
Dimensions 22 × 14 × 2 cm

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