विज्ञान शिक्षण | Pedagogy of Science (Hindi)
ISBN: 9788193257180
प्राक्कथन
लेखकगण ने अपनी पुस्तक ‘विज्ञान शिक्षण में विभिन्न विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम को लक्ष्य बनाकर विषय-वस्तु प्रस्तुत की है। प्रस्तुत पुस्तक में पठनीय सामग्री का जयाह भण्डार है। समस्त पाठ्यक्रम को 21 अध्यायों में विभाजित करके प्रस्तुत किया गया है। बालक के व्यक्तित्व के विकास हेतु तीनों पक्षों-संज्ञानात्मक, भावात्मक तथा क्रियात्मक पक्ष हेतु शिक्षक क्या करें, कैसे करें तया कद करें? इन सभी विन्दुओं पर विशेष बल दिया गया है। शिक्षण की तीनों अवस्थाओं अर्थात् पूर्व क्रियाकाल, अन्तः क्रियाकाल एवं शिक्षण के पश्चात् की क्रियाओं (उत्तर क्रियाकाल) पर सशक्त भाषा शैली के माध्तम से विषय-वस्तु प्रस्तुत की गई है। विज्ञान शिक्षण की विषय वस्तु के सैद्धान्तिक एवं व्यावहारिक दोनों पक्षों को लेखकों ने सरल, स्पष्ट तथा उपयुक्त उदाहरणों की सहायता से बोधगम्य ढंग से प्रस्तुत किया है जो कि पुस्तक के घनत्व को बढ़ाता है।
“विज्ञान शिक्षण में नवाचार” एवं “सूचना प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान” नामक अध्याय प्रस्तुत पाठ्य-पुस्तक के प्रमुख आकर्षण हैं। संसाधन इकाई योजना तथा सूचना प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान विषय पर पाठ्य-वस्तु की प्रस्तुति, लेखकगण का अनूठा प्रयास है। वर्तमान में उपत्तव्य विज्ञान शिक्षण की पुस्तकों में इन प्रकरणों का अभाव है। इस प्रकार प्रस्तुत पुस्तक विज्ञान शिक्षण से सम्बन्धित सभी पाठकों का मार्गदर्शन प्रभावशाली ढंग से करने में सफल होगी। उपरोक्त नवीनतम एवं महत्वपूर्ण विषय-वस्तु का समावेश कर डॉ० अरुण कुमार कुलश्रेष्ठ एवं श्रीमती नीर कमल कुलश्रेष्ठ ने वर्तमान समय में पुस्तकों के मेले में अपनी पुस्तक को प्रस्तुत किया है।
भाषा एवं शैली के आधार पर भी पुस्तक बहुत उपयोगी एवं महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि डॉ० कुलश्रेष्ठने अपनी पुस्तक में विषय-वस्तु का प्रस्तुतीकरण सरल, स्पष्ट, बोधगम्य एवं रसयुक्त भाषा शैली में किया है। विषय वस्तु को अधिक बोधगम्य बनाने की दृष्टि से शीर्षकों, उपशीर्षकों एवं विभिन्न पदों को हिन्दी के साथ-साथ अंग्रेजी में भी दिया गया है। यह पुस्तक सभी स्तर के पाठकों के लिए उपयोगी एवं सशक्त मार्ग दर्शक सिद्ध होगी। पुस्तक में प्रत्येक अध्याय के अन्त में सारांश तथा अभ्यास हेतु प्रश्न जिनमें निबन्धात्मक, लघु उत्तरीय तथा वस्तुनिष्ठ प्रश्न पर्याप्त मात्रा में दिये गये हैं। अतः प्रस्तुत पुस्तक सभी शिक्षकों, परीक्षकों, शिक्षक-प्रशिक्षकों एवं प्रशिक्षार्णियों के लिए परीक्षा की दृष्टि से भी उपयोगी सिद्ध होगी।
मुझे आशा ही नहीं वरन् पूर्ण विश्वास है कि डॉ० कुलश्रेष्ठ की लगन, उत्साह, परिश्रम एक शोध प्रवृत्ति का फल ही आपके हाथ में है। यह पुस्तक अवश्य ही विज्ञान शिक्षा से जुड़े सभी वर्गों के पाठकों को संतुष्ट करेगी एवं सुखद अनुभूति प्रदान करेगी। साथ ही अपनी नवीनता के कारण लोकप्रियत हासिल करेगी।
मैं डॉ० अरुण कुमार कुलश्रेष्ठ एवं श्रीमती नीर कमल कुलश्रेष्ठ को बधाई देते हुए उनक उज्जवल भविष्य की कामना करता हूँ।
साभार
प्रो० डी० एस० श्रीवास्त
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