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गणित शिक्षण | Pedagogy Of Mathematics (Hindi)

Author: Arun Kumar Kulshresth

ISBN: 9789386405647

Publisher: R.LALL Book Depot Publications

Original price was: ₹375.00.Current price is: ₹300.00.

गणित शिक्षण Pedagogy Of Mathematics (Hindi)

ISBN: 9789386405647

हम सभी जानते हैं कि गणित मानव सभ्यता का दर्पण है। मानव जाति की उन्नति तथा सभ्यता के विकास में गणित का विशेष योगदान रहा है। सभ्यता के प्रारम्भ से ही मानय तथा गणित का अटूट सम्बन्ध रहा है तथा मानव जीवन से सम्बन्धित समस्याओं को हल करने में गणित ने विभिन्न तरह से सहायता की है। गणित अंक, अक्षर और चिन्ह इत्यादि संक्षिप्त संकेतों का ऐसा विज्ञान है जिसके द्वारा दिशा, स्थान एवं परिमाण इत्यादि का सुन्दर तरीके से ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। महान वैज्ञानिक एवं गणितज्ञ गैलीलियों के अनुसार, “गणित वह भाषा है जिसमें परमेश्वर ने सम्पूर्ण जगत या ब्रह्माण्ड को लिख दिया है।” गणित की उन्नति तथा वृद्धि देश की सभ्यता से सम्बन्धित है। नई शिक्षा नीति (1986) ने गणित के मानव जीवन व राष्ट्रीय जीवन में महत्व को स्वीकारते हुए, इसके शैक्षिक जगत में विस्तृत विस्तार हेतु निम्न दृष्टिकोण दिया है- “यह वास्तविक है कि गणित को बहुत से छात्र कठिन समझते हैं। अतः स्कूल और शिक्षक द्वारा ठोस कदम उठाये जाने चाहिये, जिससे सभी छात्रों के गणित के स्तर को बढ़ाया जा सके।”

प्रस्तुत पुस्तक ‘गणित शिक्षण’ (Teaching of Mathematics) का प्रणयन गणित शिक्षकों एवं प्रशिक्षण महाविद्यालयों के छात्राध्यापकों की आवश्यकताओं को दृष्टिगत रखते हुए किया गया है। गणित शिक्षण सम्बन्धी आधारभूत संप्रत्ययों (concepts) से परिचित कराने के साथ-साथ तत्सम्बन्धी अनेक पक्षों पर भी प्रकाश डाला गया है। पुस्तक विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (U.GC.) द्वारा संशोधित विभिन्न विश्वविद्यालयों के बी० एड० के नवीन पाठ्यक्रम को ध्यान में रखकर लिखी गई है।

प्रस्तुत पुस्तक में गणित पर विस्तार से विवेचना की गई है। वैसे तो गणित शिक्षण पर पुस्तकों की कमी नहीं है, जिनमें से अधिकाँश हिन्दी में हैं। अपनी-अपनी जगह सभी अच्छी हैं। परन्तु फिर भी प्रस्तुत पुस्तक को लीक से हटकर सरल, रोचक एवं व्यापक बनाने का पूरा-पूरा प्रयास किया गया है। पुस्तक की सीमाओं को ध्यान में रखते हुए इतने संक्षिप्त आकार में गणित शिक्षण के बारे में सबकुछ लिख देना असम्भव ही है। फिर भी, लेखक का यह प्रयास रहा है कि पुस्तक अपने में पूर्ण हो।

अब यह पुस्तक आपके हाथों में है। पुस्तक कहाँ तक उपयोगी बन पड़ी है, यह तो छात्राध्यापक एवं अध्यापक बन्धु ही अपने अनुभव के आधार पर बता सकेंगे। यदि पुस्तक शिक्षा जगत् में ‘स्वागतम्’ समझी गई तो मैं अपने प्रयास एवं परिश्रम को सार्थक समझेंगा।

विषय पर उपलब्ध लगभग सभी पुस्तकों का अध्ययन किया गया है। अतः व्यक्तिगत रूप से कृतज्ञता प्रकट न करके मैं उन सभी विद्वान लेखकों का कृतज्ञ हूँ, जिनकी कृतज्ञता से मैंने पुस्तक लिखने में सहायता ली है।

मैं अपने मित्रों, विभाग के सहयोगियों, छात्रों एवं कभी-कभी भेंट हो जाने पर उनके शुभ-चिन्तकों द्वारा प्राप्त आशीर्वाद एवं स्नेहपूर्ण शब्दों के प्रति आभार व्यक्त करने में भी आनन्द का अनुभव कर रहा हूँ तथा आशा करता हूँ कि भविष्य में भी इनका प्रोत्साहन मुझे इसी प्रकार मिलता रहेगा।

पुस्तक नवीन है, अशुद्धियों का रह जाना स्वाभाविक है। अतः विनम्र निवेदन है कि शिक्षक एवं छात्र पुस्तक की त्रुटियों से एवं अपने महत्त्वपूर्ण सुझावों से लेखक को अवगत कराने का कष्ट करेंगे। सुधारार्थ परामर्श सधन्यवाद स्वीकार किये जायेंगे।

– लेखक

Weight 660 g
Dimensions 24 × 16 × 3 cm

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