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हिंदी शिक्षण एवं प्रविधियाँ (for Diet 2nd year students)
डॉ. लक्ष्मी पाण्डेय सुनीता यादव
हिन्दी हमारी मातृभाषा है। अधिकांश लोग इसका ज्ञान अनौपचारिक रूप से अर्थात लोकव्यवहार से प्राप्त करते हैं। इस माध्यम से भाषा सीखने में शुद्धता नहीं होती। खड़ी बोली से विकसित हुई मानक हिन्दी विभिन्न स्तरों पर पदार्थ जा रही है। भारत सरकार और इसके अनेक संस्थान हिन्दी को लोकव्यवहार के साथ-साथ ज्ञान-विज्ञान और तकनीक की भाषा के रूप में विकसित करने का प्रयास कर रहे हैं। वैश्वीकरण में भी हिन्दी का महत्व बदला जा
रहा है। इन परिस्थितियों में हिन्दी के शुद्ध रूप का प्रचार-प्रसार अनिवार्य हो जाता है। प्रस्तुत पुस्तक की रचना इसी को ध्यान में रखते हुए की गई है कि हमारे भावी अध्यापक हिन्दी दक्षता को विभिन्न में समझे पुस्तक की रचना राज्य शिक्षा, अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान द्वारा निर्देशित डी.एल.एड. द्वितीय वर्ष पाठ्यक्रम के अनुसार विषय सामग्री से परिपूर्ण है इसके साथ-साथ यह बी. एल. एड., बी.एड.आदिके विद्यार्थियों, कार्यरत शिक्षकों और सामान्य हिन्दी अध्येताओं के लिए उपयोगी है।
डॉ. लक्ष्मी पाण्डेय, प्रवक्ता मंडलीय शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान आरके पुरम, नई दिल्ली में दिल्ली विश्वविद्यालय से हिन्दी स्नातकोत्तर करने के पश्चात् जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ से पो.एच.डी. की उपाधि शिक्षाशास्त्र में प्राप्त की। डॉ पाण्डेय ने भारतीय अनुवाद परिषद, नई दिल्ली से वाकसे स्नातकोत्तर अनुवाद डिप्लोमा प्राप्त किया। इसके अतिरिक्त इन्होंने एन.सी.ई.आर.टी. द्वारा आयोजित अनेक कार्यशालाओं में भाग लिए साथ हो अन्तः सेवाकालीन प्रशिक्षण कार्यक्रमों के आयोजन में समंवयक एवं ज्ञानसाधक के रूप में कार्य करने का अनुभव प्राप्त है।
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