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Health Education Physical Education and Yoga| शारीरिक शिक्षा स्वास्थ्य शिक्षा तथा योग (Hindi)

Author: Rajkumari Sharma, Deepika Parashar, S.K. Dubey, M.C. Sharma, D.K. Dubey 

Publisher– Radha Prakashan Mandir

ISBN: 9789386445643

168.00

भूमिका

स्वामी विवेकानन्द के शब्दों में, “अस्वस्थ व्यक्ति आत्मा के दर्शन नहीं कर सकता, थाह जह शारीरिक रूप से अस्वस्थ हो या मानसिक रूप से। वह अपने जीवन के महान् उद्देश्यों को प्राप्त नहीं कर सकता क्योंकि उसमें सहनशीलता तथा आत्म विश्वास आदि का अभाव होता है।” इस वाक्य से स्पष्ट है कि अच्छे स्वास्थ्य का जीवन में अत्यधिक महत्त्व है। इसके अभाव में व्यक्ति स्वयं तथा दूसरों के लिये भार बन जाता है। किसी भी व्यक्ति का स्वास्थ्य एक व्यक्तिगत विषय नहीं है, बल्कि एक सामाजिक तथा राष्ट्रीय सन्दर्भ है। किसी राष्ट्र की उन्नति एवं प्रगति भी उसके अपने युवाओं के स्वास्थ्य पर निर्भर करती है। अतः राष्ट्र की सामाजिक, नैतिक एवं आर्थिक उन्नति राष्ट्र के नागरिकों के सुदृढ़ स्वास्थ्य पर निर्भर है। निरोग होने पर मनुष्य भौतिक एवं आध्यात्मिक जगत् की वस्तुओं का उपयोग कर सकता है। स्वस्थ शरीर के द्वारा धर्म, अर्थ, काम तथा मोक्ष चारों की प्राप्ति सम्भव है। क

चरक ऋषि, पातञ्जलि तथा आयुर्वेद ग्रन्थों के अनुसार मनुष्य की आयु सौ वर्ष निर्धारित की गयी है। असन्तुलित तथा अज्ञानतावश भौतिक सुखों की होड़ में मनुष्य अपनी सौ वर्ष आयु की इस निर्धारित गणना को स्वयं प्रभावित कर लेता है। आज देखने में आता है कि यौवनावस्था के मध्य तथा साठ वर्ष आते-आते व्यक्ति अनेक प्रकार के रोगों से ग्रसित हो जाता है। रक्त चाप, मानसिक तनाव आदि सामान्य रोग अधिकांश व्यक्तियों में पाये जाते हैं। धन प्राप्ति की भागदौड़ में व्यक्ति अपने शरीर की ओर ध्यान न देकर सांसारिक सुखों के लिये निषेधात्मक प्रयत्न करता है, धन तथा ऐश्वर्य प्राप्ति की निरर्थक प्रतिस्पर्धा में सुख-शान्

Weight 400 g
Dimensions 21 × 14 × 3 cm

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