भूमिका
जेम्स फेयर ग्रीव के अनुसार, “भूगोल विषय का कार्य भावी नागरिकों को विश्व मंच की अनेक व्यवहारगत समस्याओं हेतु सही कल्पना करने तथा उन्हें प्रशिक्षित कर समाधान हेतु तैयार करना है।” इस प्रकार भूगोल विश्व की समस्त प्रकार की राजनैतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक तथा भौगोलिक समस्याओं के बारे में स्पष्ट रूप से सोचने में सहायता करता है। भूगोल के महत्त्व की जब हम चर्चा करते हैं तो इस विषय का सम्पूर्ण ज्ञान व्यक्ति विशेष के जीविकोपार्जन में सहायता करता है। यह विषय प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करना सिखाता है साथ ही पर्यावरणीय समस्याओं का समाधान करने में भी सहायक है। यह विषय पृथ्वी की समस्त जानकारी देता है। व्यक्ति के दृष्टिकोण को विकसित करता है। भूगोल विश्व बन्धुत्व की भावना तथा राष्ट्रीय एकता का भी परिचायक है। यह विषय छात्र की मानसिक शक्ति तथा क्रियाशीलता में सहायक है। भूगोल का अन्य विद्यालयी विषयों से घनिष्ठ सम्बन्ध रहता है। इसीलिये यह मनुष्य की सभी आर्थिक समस्याओं के समाधान में सहायक है। यह विषय राष्ट्रीय सुरक्षा में सहायता करता है। भ्रमण की भावना का विकास कर राष्ट्रीय एकता का सबल बिन्दु है।
ठीक इसी प्रकार अर्थशास्त्र विषय भी दैनिक जीवन की आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। अतः भूगोल तथा अर्थशास्त्र विषय की आवश्यकता आज के वातावरण में अनिवार्य सी दिखायी देती है। यही कारण है कि शिक्षक प्रशिक्षण के समय अधिकांश छात्र भूगोल तथा अर्थशास्त्र विषय को अध्ययन हेतु ग्रहण करते हैं।
पुस्तक को ग्राह्य बनाने के लिये स्थानीय परिवेश से सम्बन्धित उदाहरणों के प्रयोग के साथ-साथ मानचित्र, रेखाचित्र, मॉडल आदि का भी यथास्थान वर्णन किया गया है। विषयवस्तु को अधिक स्पष्ट एवं ग्राह्य बनाने के लिये मुख्य मुख्य बिन्दुओं का अंग्रेजी रूपान्तरण भी देने का यथासम्भव प्रयास किया है।
‘भूगोल/अर्थशास्त्र का शिक्षणशास्त्र’ पुस्तक की रचना में जिन विद्वानों ने हमें बहुमूल्य सुझाव दिये हैं, उनके प्रति हम हार्दिक कृतज्ञता प्रकट करते हैं। हम अपने उन सभी प्राध्यापकों के आभारी हैं, जिन्होंने इस पुस्तक के निर्माण हेतु हमें प्रेरित किया तथा समय-समय पर अपने अमूल्य सुझावों द्वारा पुस्तक के प्रकाशित होने में सहयोग प्रदान किया। आशा है यह पुस्तक सुधी पाठकों हेतु उपयोगी सिद्ध होगी।
मंगलकामनाओं के साथ.
सम्वत् 2073
रामनवमी
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