किसी भी विषय के अध्ययन-अध्यापन कार्य में व छात्रों के सर्वांगीण विकास की सफलतापूर्वक प्राप्ति में अध्यापक का योगदान एवं महत्त्व अत्यधिक होता है। यह बात ‘कला एवं कार्य अनुभव’ विषयों के शिक्षण में और भी अधिक महत्त्वपूर्ण बन जाती है क्योंकि यह ऐसे विषय हैं जिनमें छात्रों का न केवल बौद्धिक विकास ही सम्मिलित है अपितु इनमें उनका संवेगात्मक, क्रियात्मक, व्यवहारात्मक तथा विचारात्मक विकास भी प्रभावित होता है।
छात्रों के सर्वांगीण विकास की प्राप्ति में सहायता प्रदान करने हेतु यह पुस्तक इसमें कार्यरत अध्यापकों, छात्र-अध्यापकों व अन्य सम्बन्धित व्यक्तियों के लिए एक छोटा-सा योगदान है।
इस पुस्तक को E.T.E. व J.B.T. के इन विषयों के पाठ्यक्रम के अनुरूप बनाने का पूर्ण प्रयास किया गया है। इस पुस्तक में बाजार में उपलब्ध अन्य पुस्तकों की अपेक्षा अनावश्यक बातों का समावेश नहीं किया गया है तथा इसमें दिए गए उदाहरण आदि विद्यालयों में अपनाई गई पुस्तकों पर आधारित हैं।
इस पुस्तक में इन विषयों के सैद्धान्तिक ज्ञान व आधारभूत तत्त्वों पर प्रकाश डालने के साथ-साथ उनकी व्यावहारिक पृष्ठभूमि में क्रियात्मकता की अवस्थाएँ भी दर्शाई गई हैं।
इस पुस्तक की भाषा अत्यन्त सरल, प्रभावपूर्ण व बोधगम्य है तथा उदाहरणों के प्रयोग द्वारा इसकी उपयोगिता और अधिक बढ़ जाती है। यह पुस्तक इन विषयों की हरियाणा डी.एड. की आन्तरिक एवं बाह्य दोनों परीक्षाओं के लिए अपनी उपयोगिता व सार्थकता सिद्ध करने में सफल साबित होगी।
इस पुस्तक को लिखने में मैं सर्वप्रथम ईश्वर के प्रति आभार व्यक्त करती हूँ। साथ ही साथ अपने माता-पिता व सभी गुरुजनों के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करती हूँ जिनके शुभाशीष से मैं आज इस कार्य में सफल हुई हूँ।
मैं अपनी इस पुस्तक के प्रकाशक मे० आर्य बुक डिपो की विशेष रूप से आभारी हूँ जिनके सहयोग से इसका प्रकाशन हो सका।
आशा है यह पुस्तक आप सबको अवश्य लाभान्वित करेगी। इस पुस्तक को बेहतर रूप प्रदान करने के लिए आप सभी पाठकों के सुझाव सदैव आमन्त्रित हैं।
शुभकामनाओं सहित,
लेखिका
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