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शिक्षा के ऐतिहासिक एवं राजनीतिक परिप्रेक्ष्य | HISTORICAL AND POLITICAL PERSPECTIVES OF EDUCATION (Hindi)

Author: Mohan Lal Arya

Publisher: R.Lall Book Depot

ISBN: 9789386405210

 

220.00

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प्राक्कथन

शिक्षा मानव विकास का सर्वोतम साधन है जो जीवन पर्यन्त चलती रहती है जिसके माध्यम से मानवीय ज्ञान में वृद्धि एवं विकास होता रहता है। वर्तमान समय में मानव समाज, तथा राष्ट्र की आवश्यकताओं एवं आकांक्षाओं की पूर्ति उत्तम शिक्षा एवं शिक्षण से ही सम्भव है। शिक्षा की प्रक्रिया में विभिन्न युगों में द्वेष, काल एवं परिस्थिति के अनुसार अलग-अलग पक्षों को प्राथमिकता दी जाती रही है। कभी शिक्षकों को, छात्रों को, कभी पाठ्यक्रम को, तो कभी शिक्षण उ‌द्देश्यों महत्त्व दिया जाता रहा है। वर्तमान समय में मानवीय ज्ञान के आधार पर पाठ्यक्रम के उद्देश्यों को महत्व दिया जाता है। शिक्षा के उद्देश्य साध्य होते हैं, इन्हीं की प्राप्ति के लिए विभिन्न सापनों की आवश्यकता होती है। शिक्षा के उद्देश्यों की प्राप्ति का सर्वोत्तम साधन शिक्षण-प्रशिक्षण प्रक्रिया, अधिगम एवं पाठ्य पुस्तकें ही हैं। किन्तु जितना अधिक ध्यान शिक्षा के उद्देश्यों पर दिया गया है उतना पाठ्यक्रम, पाठ्य-पुस्तकों शिक्षण-प्रशिक्षण एवं अधिगम के स्तरों पर नहीं दिया गया है। शिक्षा प्रक्रिया की सार्थकता एवं प्रभावशीलता के लिए साध्य एवं साधन में समन्वय स्थापित करने के साथ-साथ शिक्षण अधिगम प्रक्रिया पर ध्यान देना अति आवश्यक है।

प्रस्तुत पुस्तक, शिक्षा के ऐतिहासिक एवं राजनीतिक परिप्रेक्ष्य (Historical and Political Per- spectives of Education) विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (U.GC.) एवं राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (N.C.T.E.) द्वारा निर्मित नवीनतम पाठ्यक्रम के आधार पर निर्मित विभिन्न विश्वविद्यालयों के द्विवर्षीय एम०एड० एवं एम०ए० शिक्षाशास्त्र के विद्यार्थियों के निहितार्थ लिखी गयी है। लेखक को पूर्ण विश्वात है कि जिन प्रकरणों (Topics) को इस पुस्तक में समाहित किया गया है वे सभी शिक्षा जगत से जुड़े समस्त विद्यार्थियों के लिए सार्थक सिद्ध रहेगें।

प्रस्तुत पुस्तक में सम्प्रत्ययों (Concepts) को बारीकी से समझाने का प्रयास किया गया है तया यथास्थान उपयुक्त उदाहरणों का प्रयोग किया गया है जिससे विद्यार्थी प्रत्येक तथ्य को भली-भांति समझ सकें। शोध कार्यों का यथास्थान समावेश करना पुस्तक की प्रमुख विशेषता है। प्रत्येक विचारधारा से सम्बन्धित विद्वान का नाम उसी स्थान पर दिया गया है जहाँ पर उस विचारधारा की चर्चा की गयी है।

प्रस्तुत पुस्तक परम पुज्य गुरूजी श्रद्धेय प्रो० (डॉ०) आर० एम० दुवे जी, कुलपति, आईएफटीएम विश्वविद्यालय, मुरादाबाद उ०प्र० की प्रेरणा, प्रवचन, एवं लेखन प्रशिक्षण का परिणाम है। पढ़ते रहो, विचार करते रहो, बढ़ते रहो जैसे आदर्श कथनों के माध्यम से हिम्मत एवं उत्साह बढ़ाने वाले, सरल स्वभाव, कर्मठ, ईमानदार शिक्षाविद् एवं अर्थशास्त्री को शत्-शत् नमन ।

प्रस्तुत पुस्तक लिखने में अनेक हिन्दी एवं अंग्रेजी की पुस्तकों का सहारा लिया गया है। अतः लेखक उन सभी लेखकों तथा प्रकाशकों के प्रति आभार व्यक्त करता हैं, जिनकी रचनाओं से सहायता मिली है। लेखक उन सभी गुरूजनों, मित्रों, साथियों, सहय

Weight 500 g
Dimensions 24 × 15 × 2 cm

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