प्रस्तावना
पुस्तक ‘ज्ञान एवं पाठयक्रम की सभी ने सराहना की है और इसी के आधार पर लेखकों
को इसे और श्रेष्ठ बनाने की प्रेरणा मिली है। तकनीकी प्रगति के कारण शोधता से परिवर्तन हो रहे है इसलिए प्रत्येक पक्ष को ध्यान में रखते हुए इसकी पुनरावृति एवं नवीनीकरण किया गया है। लगभग पुस्तक के प्रत्येक अध्याय में सुधार के लिए प्रयत्न किए गए हैं। पूरा विश्वास है कि पुस्तक का वर्तमान संस्करण पुस्तक के पाठकों की और अच्छी तरह से सेवा करेगा। लेखक शिक्षा महाविद्यालयों के प्रधानाचार्यों, सहायक प्रोफेसरी का कृतज्ञ एवं धन्यवादी है जिन्होंने उनकी पुस्तक को उचित पहचान दी है। उन सभी के भी हम धन्यवादी हैं जिन्होंने अपने सुझाव भेजे हैं। विशेष तौर पर पुस्तक के प्रकाशक श्री हरविन्द्र सिंह Twentyfirst Century Publications’ पटियाला के हम धन्यवादी है क्योंकि यह उनके दिन-रात का अथक
परिश्रम और सहयोग के कारण हो पाया है।
पुस्तक के सुधार के लिए पाठकों के अमूल्य सुझाव सादर आमन्त्रित है।
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