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लिंग, विद्यालय एवं समाज | Gender School And Society (Hindi)

Author Dalvinder Kumar, Alka Rani, Ruchi Bala

Publisher– Niemal Publishing House

ISBN– 9789384783082

 

220.00

प्राक्कथन

लैंगिक अध्ययन आधुनिक शैक्षणिक अन्वेषण में निरन्तर आर्विभावित एवं प्रगतिशील विषय है। प्रस्तुत पुस्तक छात्रों को लिंग के सम्प्रत्यय, उससे संबंधित पहलूओं तथा लैंगिक असमानता के कारण उत्पन्न हुई अनेक समस्याओं से अवगत करवाएगी। साथ ही साथ विद्यार्थी यह भी जान सकेगें कि कैसे समाज के विभिन्न अभिकरणों द्वारा लैंगिक निर्धारण होता है तथा वे संचार माध्यमों के द्वारा निभाई गई भूमिकाओं का ज्ञान प्राप्त करने में भी सक्षम होगें।

द्वितीय संशोधित संस्करण विभिन्न अनुशासनों के विद्यार्थियों एवं पाठकों को आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु सृजित किया गया है। समाज, सत्ता एवं शिक्षा में गहन संबंध है। शिक्षा, समाज की आवश्यकतओं के अनुरूप परिवर्तित होती है, तथा समाज, सत्ता के अनुरूप उन्नति या राजनीति करता है। अतः इन्हीं संबंधों को प्रस्तुत संशोधित संस्करण में वर्णित किया गया है।

संशोधित संस्करण के सृजन की अल्प सी अवधि में लेखकों ने ‘लिंग, विद्यालय एवं समाज’ से संबंधित कुछ महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों के मूल तत्त्वों को समाहित करने का प्रयास किया है। इस प्रयास में लेखकों ने शब्दाडंबरों से बचने की अथाह कोशिश कि है एवं पाठकों का ध्यान विषय से सम्बन्धित आवश्यक बिन्दुओं पर केन्द्रित किया है। इस प्रक्रिया में उनका कार्य कुछ सतर्कतापूर्ण हो गया है, क्योंकि मूलभूत तत्त्व विभिन्न मानक स्रोतों से उगाहे गए हैं, जो कि सन्दर्भ ग्रंथ-सूची में विरचित हैं। इस संस्करण को पाठकों के सामने प्रस्तुत करते हुए यह प्रयास किए गए हैं कि भारतीय पृष्ठभूमि केन्द्र में रहे, परन्तु साथ ही साथ समग्र अवलोकन यह भी किया गया है कि पुस्तक का सर्वव्यापी चरित्र भी अनिवार्य रूप से सुरक्षित रहे।

प्रस्तुत पुस्तक न केवल विषयाधारित विद्यार्थियों तथा अध्यापकों की आवश्यकताओं से उद्दिष्ट हैं वरन् उन अध्यापकों, निर्ति-निर्धारकों, पाठ्य-पुस्तक विकासकर्ताओं, जो कि शिक्षा के पुनः संरचीकरण में संलग्न हैं, को भी निदेर्शित कर सकेगी, ऐसी हमारी मान्यता है। इस पुस्तक को लिखते समय यह स्वीकार किया गया है कि लेखकों ने अपने विचार शिक्षा-स्नातकों के पाठ्यक्रम से सम्बन्धित किए हैं ताकि यह उन भावी गुरुओं का अवश्य मार्ग प्रशस्त कर सके, जिनको की यह विषेष रूप से समर्पित है। हम उन लेखकों तथा प्रकाशकों के प्रति अन्तरंग गहराइयों से आभार प्रकट करते हैं, जहाँ से स्वतन्त्र रूप से इसे संजोया गया है। यहाँ पर हम ‘निर्मल बुल ऐजेंसी’ के प्रति अपनी ऋणग्रस्तता दर्ज करते हैं, जिन्होंने भारी प्रतिबद्धताओं के बावजूद प्रस्तुत पुस्तक को इस समय प्रकाशित करने का श्रेष्ठतम कार्य किया है। हम नहीं जानते कि हम अपने प्रयासों में कितने सफल हो पाएंगे। परन्तु हम स्वयं को गौरवान्वित महसूस करेंगे यदि यह पुस्तक पाठको, निति-निर्धारकों तथा शिक्षाविदों को स्वाभाविकता के आधार पर लैंगिक सामाजिक संरचना हेतु प्रोत्साहित कर पाए तथा विद्यार्थियों को लाभान्वित कर सके। पुस्तक के संशोधन हेतु कोई भी रचनात्मक सुझाव सहृदयता के साथ स्वीकार्य है।

 

Weight 310 g
Dimensions 22 × 14 × 2 cm

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