दो शब्द..
प्रस्तुत पुस्तक, ‘शिक्षा के मनोवैज्ञानिक आधार’ (Psychological Foundations of Education) वैसे तो चौ० चरणसिंह विश्वविद्यालय के एम०एड० के पाठ्यक्रमानुसार ही लिखी गई है लेकिन हमें पूर्ण विश्वास है कि जिन प्रकरणों (Topics) को हमने पुस्तक में समाहित किया है वे अन्य विश्वविद्यालयों के शिक्षा एवं मनोविज्ञान जगत से जुड़े विद्यार्थियों के लिए भी उतने ही सार्थक सिद्ध होंगे।
पुस्तक में प्रत्ययों को समझाने का बारीकी से प्रयास किया गया है तथा यथास्थान उपयुक्त उदाहरणों के द्वारा भरपूर प्रयास किया गया है कि विद्यार्थी प्रत्येक तथ्य को भली-भाँति समझ सकें। शोध कार्यों का यथास्थान समावेश पुस्तक की प्रमुख विशेषता है। प्रत्येक विचारधारा से सम्बन्धित विद्वान का नाम उसी स्थान पर दिया गया है जहाँ उस धारा की चर्चा हुई है। वास्तव में, इस पुस्तक का श्रेय इन्हीं विद्वानों को जाता है। हमने तो मात्र इन सगुम्फित रेशों को इधर-उधर से बीनकर बुनने का प्रयास भर किया है।
हिन्दी भाषा में तकनीकी शब्दावली की कठिनाई होती है क्योंकि अंग्रेजी के शब्दों के हिन्दी पर्याय अभी प्रचलित नहीं हुए हैं अतः कोष्ठक में अंग्रेजी के समानान्तर शब्दों को देना अनिवार्य समझा गया है। विदेशी भाषा होते हुए भी अंग्रेजी का महत्त्व इस दृष्टि से बहुत व्यापक है कि इसके माध्यम से विशद साहित्य सुलभ हुआ है। फिर अंग्रेजी परिभाषिक शब्द प्रयोग-प्राचुर्य के कारण हमारी बोलचाल में समा गये हैं और मातृभाषा के वही शब्द प्रयोग में न आने के कारण बोधगम्य नहीं हैं। दूसरे, तकनीकी शब्दों का हिन्दी अनुवाद किसी विशेष कोश पर आधारित नहीं है। कुल मिलाकर हमारा प्रयास यही रहा है कि छात्रों को स्वयं पढ
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