भूमिका
अध्यापक शिक्षा के नियोजन में अब तक के पाठ्यक्रम में जिस पाठ्य वस्तु को सम्मिलित किया गया है, उसमें मनोवैज्ञानिक प्रत्ययों एवं सिद्धान्तों को विशेष महत्व दिया गया। परन्तु शिक्षा के मनोवैज्ञानिक आधार प्रभावशाली शिक्षक तैयार करने में उपयोगी सिद्ध नहीं हुए: क्योंकि शिक्षक को जो क्रिया करनी होती है उनका बोष नहीं हो पाता। प्रशिक्षण मनोविज्ञान (Training Psychology) के आर्विभाव ने अध्यापक-शिक्षा के नियोजन को नयी दिशा प्रदान की है। इसके अन्तर्गत शिक्षण की क्रियाओं एवं कौशलों का बोष तथा इनके अभ्यास को महत्व दिया जाता है जिससे प्रभावशाली शिक्षण तैयार किये जा सकते हैं।
इस पुस्तक में प्रभावी शिक्षकों के लिये पाठ्यक्रम शिक्षण कला तथा मूल्यांकन को प्रस्तुत किया गया है जिसे शिक्षण अधिगम के नवीन प्रवर्तन (Innovations of Teaching Learning) की संज्ञा दी गई है। इसके अन्तर्गत उन क्रियाओं, कौशलों, प्रविधियों तथा उपागमों का उल्लेख किया है जो शिक्षक को उसके व्यवसाय मे प्रवीण बनाने में अधिक उपयोगी सिद्ध हो चुके हैं। जैसे- शिक्षण, शिक्षण-व्यवस्था, शिक्षण उद्देश्य, पाठ योजना, शिषण कौशल, सूक्ष्म शिक्षण, टोली शिक्षण, योजना पद्धति, नवीन अनुदेशन विधियाँ, उच्च शिक्षण की विधियाँ तथा मापन एवं मूल्यांकन प्रमुख हैं। अनेकों विश्व विद्यालयों ने इस प्रकार के पाठ्यक्रम को बी० एड० तथा एम० एड० स्तर पर सम्मिलित कर लिया है। शिक्षा के हिन्दी भाषी छात्रों एवं पाठकों की कठिनाई का अनुभव करते हुए प्रस्तुत पुस्तक की रचना की गई है। इस पुस्तक की विशेषता यह है, कि तकनीकी शब्दों को अंग्रेजी तथा हिन्दी में साथ-साथ दिया गया है। भाषा सरल तथा बोधगम्य है। प्रत्ययों के स्पष्टीकरण के लिये समुचित उदाहरण दिये गये हैं। शोधकार्यों के परिणामों का सारांश भी यथा स्थान पर दिया गया है। इस पुस्तक की रचना में अनेकों मन्थों तथा विद्वानों के विचारों की सहायता ली गई है। अधिकांश को सन्दर्भ मन्य (Bibliography) के रूप में दिया गया है। लेखक उने सभी विद्वानों, लेखकों तथा प्रकाशकों के प्रति आभारी है। आशा है कि यह प्रथम संस्करण शिक्षा शास्त्र के अध्यापक एवं छात्र शिक्षण-अधिगम के नवीन प्रवर्तनों का बोध सुगमता से कर सकेंगे तथा इससे वे अधिक लाभान्वित हो सकेंगे।
आर० ए० शर्मा
शिक्षा विभाग
उच्च शिक्षा संस्थान
मेरठ विश्वविद्यालय, मेरठ
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