प्रस्तावना
‘पाठ्यचर्या विकास’ नामक यह पुस्तक चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम के अनुसार लिखी गई है। लेखक ने सीधे, उपयुक्त उदाहरणों के उपयोग के साथ शिक्षण की विषय-वस्तु के सैद्धान्तिक और व्यावहारिक, दोनों हिस्सों को स्पष्ट करके पुस्तक की सघनता में वृद्धि की है। किसी विषय के बारे में बहुत कुछ कहने का कार्य वास्तव में चुनौतीपूर्ण होता है। प्रारम्भ में ही यह बता देना उचित होगा कि यह विषय मानव जीवन के प्रत्येक तत्व में अत्यन्त महत्वपूर्ण है।
इस विषय पर हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में अनेक पुस्तकें उपलब्ध होने के बावजूद, प्रत्येक अपने-आप में उत्कृष्ट हैं। फिर एक नई पुस्तक को क्रमबद्ध करने की आवश्यकता क्यों हुई, यह प्रश्न मन में उठना स्वाभाविक है।
लेखक की भावना इस प्रश्न के उत्तर में और पुस्तक लिखने की प्रेरणा में पाई जा सकती है, जो छात्रों को एक ऐसी पुस्तक देना है, जो उनकी सभी अपेक्षाओं को पूरा करते हुए, ‘आसान और व्यापक’ हो। परिणामस्वरूप, पुस्तक को सभी प्रकार से न्यूनतम रखा गया है।
लेखक को विश्वास है कि पुस्तक, कम-से-कम अंशतः, बच्चों, माता-पिता, शिक्षकों और शिक्षा पेशेवरों के विषय हितों को पूरा करने में सक्षम होगी। इस सुविधा के बिन्दु से कार्य की भाषा और प्रवाह पर विशेष ध्यान दिया गया है, साथ ही पाठ्यपुस्तक की छोटी-छोटी बातों को स्पष्ट करने का सफल प्रयास किया गया है।
प्रस्तुत पुस्तक में अनेक हिन्दी और अंग्रेजी की पुस्तकों के प्रयोग की आवश्यकता हुई। परिणामस्वरूप, लेखक उन सभी लेखकों और प्रकाशकों को धन्यवाद देना पसन्द करते हैं, जिनकी रचनाएँ लाभकारी रही हैं। लेखक उन सभी प्राध्यापकों, मित्रों, सहकर्मियों और शुभचिन्तकों के प्रति भी आभार व्यक्त करते हैं, जिन्होंने उन्हें इस अवसर पर प्रेरित किया है।
अन्त में हम अपने प्रकाशक श्री विनय रखेजा को हम पर विश्वास बनाए रखने और पुस्तक को इतने उत्साह के साथ प्रकाशित करने के उनके अथक प्रसायों के लिए धन्यवाद देते हैं।
-लेखक
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