अभिस्वीकृति
सर्वप्रथम मेरे अकादमिक, व्यवसायिक एवं सामाजिक कार्यों में हमेशा सहयोग करने वाले देवतुल्य माता-पिता को बहुत-बहुत धन्यवाद। लेखन के लिए पर्याप्त समय की आवश्यकता होती है। मेरठ कॉलेज, मेरठ जैसे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बड़े महाविद्यालय में कार्यरत होने के नाते अपने कर्त्तव्यों के ईमानदारी और लगन से निर्वहन के परिणामस्वरूप परिवार के लिए समय बचा पाना बहुत कठिन होता है। वहीं दूसरी ओर सामाजिक सरोकारों को भी बहुत सारा समय देता रहता हूँ, क्योंकि समाज को मुझसे आशाएँ हैं। उसके बावजूद भी जो समय बचता था उसे मैंने इस पुस्तक के लेखन में लगाया। जिसका परिणाम यह हुआ कि उम्र के वानप्रस्थ आश्रम में पहुंच चुके माता-पिता को बहुत कम समय दे पाता था। उम्र के इस पड़ाव में सभी के साथ हमेशा कुछ-न-कुछ बीमारी या परेशानियाँ बनी रहती हैं, मेरे माता-पिता भी इससे अछूते नहीं हैं। परंतु मेरे माता-पिता बहुत महान हैं और मेरे अपने कर्त्तव्यों और जिम्मेदारियों के प्रति जनून से बहुत गहरे से परिचित है तथा हमेशा मुझे सपोर्ट करते हैं। मेरे माता-पिता वृद्ध होते हुए भी कभी यह नहीं कहते कि बेटा थोड़ा समय हमारे लिए भी निकाल ले, बल्कि कहते हैं कि जब कॉलेज का काम निबट जाए तो हमारा यह काम कर देना। इसलिए अपने माता-पिता जोकि बहुत ही कम पढ़े-लिखे हैं परंतु अति उच्च दर्जे के शिक्षित हैं उनके इस योगदान सहयोग और मेरे ऊपर विश्वास के लिए मैं उनका कर्जदार हूँ और हमेशा रहूंगा। इसलिए सर्वप्रथम हृदय की गहराइयों से अपने माता-पिता श्री रामपाल सिंह एवं श्रीमती शारदा देवी का बहुत-बहुत आभार।
इसी क्रम में मैं अपने गुरुजनों डॉ० योगेंद्र तोमर, डॉ० डी०आर० यादव, डॉ० श्रीदर्शन देसा, डॉ० अनिल करवंदे एवं डॉ० एच०वी० नटराजन सर का भी बहुत-बहुत धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ, जिनकी शिक्षा एवं आचरण से मेरे जैसा ग्रामीण, खेतिहर परिवार से निकला बालक एक संस्कारी, ईमानदार, कर्त्तव्य परायण एवं अपने व्यवसाय से प्रेम करने वाला बन पाया है। मैं आज जो भी कुछ हूँ वह अपने माता-पिता और गुरुजनों का योगदान एवं आशीर्वाद ही है। इसलिए अपने सभी गुरुजनों का भी इस पुस्तक के माध्यम से बहुत-बहुत धन्यवाद ज्ञापित करता हूं।
अंत में शारीरिक शिक्षा विषय को मेजर अथवा माइनर विषय के रूप में चयनित करने वाले छात्र-छात्राओं का भी धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ जिन्होंने शारीरिक शिक्षा विषय को लेकर हमारे व्यवसाय के लिए बहुत बड़ा योगदान प्रदान किया है। उनके विशेष अनुरोध पर ही मैंने स्नातक स्तरीय यह पुस्तक लिखी है।
Reviews
There are no reviews yet.