Bookman

bookmanlogo

BOOKMAN

Sale!

शिक्षा के समाजशास्त्रीय एवं दार्शनिकीय आधार |Philosophical And Sociological Foundations Of Education (Hindi)

152.00

सम्पादकीय

शिक्षा एवं समाज एक ही सिक्के दो पहलू हैं जिन्हें एक-दूसरे से पृषक नहीं किया जा सकता। सामाजिक संस्थाओं का बदलता परिवेश एवं उसमें होने वाला परिवर्तन शिक्षा के स्वरूप को परिवर्तित करता है। इस प्रकार शिक्षा द्वारा समाज की आकांक्षाओं की पूर्ति होती है। शिक्षा में दर्शन का समावेश प्राचीन काल से ही चला आ रहा है और शिक्षा के दार्शनिक पक्ष द्वारा विकसित एवं श्रेष्ठ समाज का निर्माण सम्भव हुआ है। अतः शिक्षा के प्रमुख आधार उसके सामाजिक एवं दार्शनिक पक्ष है। शिक्षक से मानव समाज को यह अपेक्षा सदैव से रही है कि यह एक आध्यात्मिक, नैतिक एवं सामाजिक व्यवस्या का निर्माण करे जिससे यह भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति का संरक्षक बन सके। भारतीय दर्शन एवं संस्कृति विश्व पटल पर सदैव से ही अनुकरणीय एवं अग्रणी रही है। इस आवश्यकता का अनुभव करते हुए ग्रन्थ रचनाकारों ने इस सार गर्भित विषय पर अपनी लेखनी का प्रयोग किया है। एम.एड. स्तर पर उच्च कोटि की पुस्तकों का सदैव अभाव रहा है। विद्वान प्रवक्ताओं एवं छात्रों के द्वारा प्राप्त पत्रों से उनकी हृदय की पीड़ा का सहज अनुमान लगाते हुए राधा प्रकाशन मन्दिर द्वारा इस पुस्तक का प्रकाशन सम्भव हुआ है। पुस्तकों का अभाव एम.एड. के छात्रों के लिये उनके अध्ययन मार्ग की प्रमुख बाधा सिद्ध हो रही थी। अतः अध्ययन हेतु इस समस्या का समाधान कर दिया गया है।

प्रस्तुत पुस्तक यू.जी.सी. पाठ्यक्रम को आधार मानकर तैयार की गयी है। इस पुस्तक में उन सभी विषयों को समाहित किया गया है जो शिक्षा के उच्च स्तर पर आवश्यक होते हैं। दार्शनिक पक्ष एवं सामाजिक पक्ष का उचित समन्वय इस पुस्तक की प्रमुख विशेषता है। यह पुस्तक

Weight 528 g
Dimensions 22 × 14 × 3 cm

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “शिक्षा के समाजशास्त्रीय एवं दार्शनिकीय आधार |Philosophical And Sociological Foundations Of Education (Hindi)”

Your email address will not be published. Required fields are marked *