भूमिका
पूर्व प्राथमिक विद्यालयों की मांग समस्त भारत में विशेषकर शहरी क्षेत्रों में दिनों-दिन बढ़ रही है। इस मांग की पूर्ति हेतु अत्यधिक पूर्व प्राथमिक विद्यालय खुल रहे हैं। पूर्व विद्यालय आयु (4-7 वर्ष) किसी भी व्यक्ति के जीवन में बहुत ही महत्त्वपूर्ण समय है। प्रगति की दर इतनी तीव्र होती है, यदि बच्चे को सही ढंग से समझाया जाए तो वह सभी कुछ सुगमता से आत्मसात्त कर लेता है। इस आयु में प्राप्त की हुई शिक्षा एवं संस्कार इतने सुदृढ़ होते हैं कि आगामी जीवन में उन्हें बदलना असंभव सा होता है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति में प्रारम्भिक बाल देख-रेख तथा शिक्षा (Early Childhood care and Education) पर काफी बल दिया गया है। इसे प्रारम्भिक बाल देख-रेख शिक्षा (ECCE) को मानव संसाधन विकास (Human Resource Develop- ment) की नीति में एक महत्त्वपूर्ण निवेश के रूप में, प्राईमरी शिक्षा के लिए एक पोषक तथा सहायक कार्यक्रम के रूप में, तथा समाज के वंचित वर्गों की कार्यरत महिलाओं के लिए सहायता सेवाओं के रूप में, देखा गया है। प्रारम्भिक बाल देख-रेख तथा शिक्षा (ECCE) में आयु आरम्भ से 7 वर्षों तक है। अतः इसमें शिक्षण के औपचारिक विधि के स्थान पर बाल-केन्द्रित (Child centred) दृष्टिकोण, खेल के विधि (Planning) से क्रिया-कलाप आधारित अध्ययन तथा शीघ्र ही तीन ‘आर’ को शुरु करने पर बल दिया गया है। देख-रेख एवं शिक्षा (ECCE) के कार्यक्रम आयोजन
प्रारम्भिक बाल (Programme Planning) में बच्चों के विकास स्तर एवं आवश्यकताओं का विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। बच्चों को उनकी आयु को ध्यान में रख कर ही विभिन्न क्रिया- कलापों को प्रारम्भ करना चाहिए। पूर्व प्राथमिक एवं प्राथमिक कक्षाओं का कार्यक्रम लचीला और बच्चों की आवश्यकताओं की पूर्ति करने वाला होन
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