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शिक्षा मापन के मूल तत्व एवं सांख्यिकी | ESSENTIALS OF EDUCATIONAL MEASUREMENT & STATISTICS (Hindi)

Author: R.A. Sharma

Publisher: R. Lall Book Depot

ISBN: 3868067052

300.00

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भूमिका

मापन एवं मूल्यांकन की प्रक्रिया अधिक प्राचीन है इसका प्रयोग केवल शिक्षा एवं मनोविज्ञान में ही नहीं किया जाता, अपितु इसका आरम्भ भौतिक विज्ञान से हुआ है। मापन के सम्बन्ध में यह धारणा है कि इसका विकास मानव सभ्यता के विकास से ही हुआ है। आज जो राष्ट्र सबसे अग्रणी माना जाता है उसकी मापन की विधियों भी अधिक शुद्ध हैं। मापन की प्रक्रिया औपचारिक है जबकि मूल्यांकन की प्रक्रिया अनौपचारिक है, जो निरन्तर चलती रहती हैं। सभी वस्तुओं, गुणों एवं तथ्यों का मूल्यांकन निरन्तर होता रहता है। मूल्यांकन की प्रक्रिया गुणात्मक है जबकि मापन की प्रक्रिया परिमाणात्मक होती है। भौतिक विज्ञान में मापन का प्रयोग अधिक प्राचीन है जबकि शिक्षा एवं मनोविज्ञान में मापन 20वीं सदी की देन है। मूल्यांकन प्रक्रिया का प्रयोग शिक्षा में अधिक प्राचीन समय से किया गया। शिक्षा के आरम्भ से ही मूल्यांकन प्रक्रिया का आरम्भ हुआ है। भौतिक विज्ञान में मापन की प्रक्रिया प्रत्यक्ष होती है जबकि शिक्षा एवं मनोविज्ञान में अप्रत्यक्ष होती है। इस प्रकार मापन की प्रक्रिया अधिक व्यापक है। इसका प्रयोग वस्तुओं, पदार्थों, जीवों के भौतिक एवं व्यावहारिक गुणों के मापन के लिए किया जाता है।

व्यावहारिक मापन की क्रिया अपेक्षाकृत कठिन एवं जटिल होती है, क्योंकि वस्तु और व्यक्ति के गुणों का मापन अप्रत्यक्ष (Indirect) रूप में किया जाता है। अप्रत्यक्ष से तात्पर्य यह होता है कि जिस विशेषता के मापन के लिए उसका परीक्षण उन पर सीधा नहीं रखा जा सकता। जैसे कि हम भीतिक मापन में करते हैं। उदाहरणार्थ बुद्धि, निष्पत्ति, व्यक्तित्व, प्रवणता एवं अभिरुचि आदि गुणों के मापन के लिए जो जिन परीक्षणों की रचना की गई है, उनका उपयोग मापन में अप्रत्यक्ष (Indirect) होता है। व्यावहारिक गुणों के मापन का आधार व्यवहारों के मापन से किया जाता है, अर्थात् उपरोक्त सभी और अन्य गुणों के मापन का आधार व्यक्ति का व्यवहार होता है।

शिक्षा, मनोविज्ञान तथा समाजशास्त्र में जिन गुणों एवं विशेषताओं का मापन किया जाता है उसका एकमात्र आधार व्यवहार होता है। इस प्रकार व्यक्ति के सीमित व्यवहारों की सहायता से ही उसके अनेक व्यवहारों का मापन किया जाता है। यह व्यवहारिक मापन का मूल आधार है। इसे व्यवहार मापन की एक विडम्बना भी कहा जा सकता है। व्यक्ति का एक व्यवहार कई विशेषताओं को प्रदर्शित करता है, अर्थात् एक व्यवहार एक से अधिक विशेषताओं के मापन में प्रयुक्त होता है।

उदाहरणार्थ बुद्धि और निष्पत्ति के मापन में एक ही प्रश्न दोनों में प्रयुक्त होता है।

उपरोक्त दोनों प्रश्नों के सही उत्तर छात्र की बुद्धि और निष्पत्ति दोनों पर ही आधारित हैं। आकाश और नीले में सम्बन्ध देखना है, जो छात्रु की तर्क शक्ति या तार्किक योग्यता पर आधारित है। जिस छात्र में तार्किक योग्यता होगी वह उनके सम्बच्ध को त

Weight 900 g
Dimensions 24 × 14 × 4 cm

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