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बाल्यकाल एवं विकास | Childhood And Growing Up (Hindi)

AuthorJaswant Virk, Kusum Sharma

Publisher– Twenty-First Century Publications

ISBN– 38632880952

 

208.00

प्रस्तावना

मनोविज्ञान के नियमों एवं सिद्धान्तों पर अधारित ही शिक्षा पद्धति अपने उद्देश्यों की पूर्ति में सफल हो सकती है क्योंकि मनोविज्ञान के ज्ञान की सहायता से शिक्षक बालक की मानसिक प्रक्रियाओं, व्यवहार के लक्षणों तथा मनोगतिकी के नियमों को समझते हुए शिक्षण से जुड़ी समस्याओं को हल कर के कक्षा-शिक्षण को प्रभावी बना सकता है तथा इस प्रकार वह बालकों के विकास की प्रक्रिया को सही दिशा में निर्देशित कर विद्यालय में तथा इससे बाहर सफल समायोजन में उनकी सहायता कर सकता है। इस तथ्य को दृष्टिगत रखते हुए भारत के सभी विश्वविद्यालयों में शिक्षण से सम्बंधित पाठ्यक्रमों में शिक्षा मनोविज्ञान को एक अनिवार्य विषय के रूप में संकलित किया गया है।

पुस्तक के इस संस्करण का उद्देश्य बालकों के विकास, उस के व्यक्तित्व के विभिन्न पक्षों तथा शिक्षण अधिगम सम्बंधी सभी संप्रत्ययों की सरल, स्पष्ट तथा बोधगम्य भाषा में वैज्ञानिक व्याख्या करना है। इस पुस्तक में ऐसा करने का भरसक प्रयास किया गया है। आवश्यकतानुसार उदाहरणों, चित्रों, रेखाचित्रों, उधृत विवरणों तथा शोध अध्ययनों के परिणामों का प्रयोग भी दिया गया है। पुस्तक के प्रारम्भ में मनोविज्ञान की प्रकृति, विषय-वस्तु, क्षेत्र विस्तार के अतिरिक्त शिक्षा तथा शिक्षा मनोविज्ञान से इस के सम्बंध का वर्णन किया गया है। इससे अग्रिम अध्याय में बालक का विकास तथा उस के विकासात्मक पहलुओं की विवेचना के साथ वंशानुक्रम एवं पर्यावरण का बालक के विकास पर प्रभाव का उल्लेख किया गया है।

इस पुस्तक में अनेक विद्वानों एवं शिक्षाविदों के विचारों का वर्णन किया गया है, मैं उन सबके प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करती हूँ, विशेष रूप से उन विद्वानों के प्रति जिनके रत्न-ग्रन्थों को मैंने पढ़ा है तथा सहायता ली है, एवं जिनके द्वारा प्रतिपादित सिद्धान्तों तथा निर्मित मनोवैज्ञानिक परीक्षणों की इस पुस्तक में चर्चा की गई है। मैं उन सब के प्रति भी अपना हार्दिक आभार व्यक्त व्यक्त करती हूँ जिन्होंने इस पुस्तक को विशिष्ट रूप देने में प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से अपना सहयोग दिया है।

Weight 330 g
Dimensions 22 × 14 × 2 cm

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