प्रस्तावना
सांख्यिकी विधि एक प्रकार से सहायक गवेषण विधि होती है। किसी शोध-कार्य के प्रभावकारी ढंग से अभिकल्पना एवं नियन्त्रण करने में तथा प्राप्त प्रदत्त के विश्लेषण में सांख्यिकी के सहयोग के कारण ही मनोवैज्ञानिक गवेषण की प्रक्रिया को किसी सीमा तक वस्तुनिष्ठ एवं निष्पक्ष प्रक्रिया बनाना सम्भव हो पाता है। यदि आधुनिक मनोविज्ञान को एक वैज्ञानिक विषय की पदवी हासिल है तो उसका श्रेय काफी हद तक सांख्यिकी को है। इसलिए इस पुस्तक की रचना में मेरा मूल उद्देश्य केवल यह नहीं रहा है कि विद्यार्थी संगणना कार्य में निपुण हो जायें, वरन् यह भी ध्यान रखा गया है कि वे विभिन्न साख्यिकीय क्रिया-विधियों के अनुप्रयोग से भी परिचित हो जायें। किसी सांख्यिकीय मान का किन अवस्थाओं में प्रयोग किया जाता है और क्यों? किन परिस्थितियों में किस सांख्यिकीय कार्य-नीति द्वारा अपेक्षाकृत अधिक निष्पक्ष एवं सार्थक परिणाम प्राप्त किये जा सकते हैं और कैसे ? आदि प्रश्नों का भी उन्हें समुचित ज्ञान हो जाये। अतः विभिन्न सांख्यिकीय प्रत्ययों की सैद्धान्तिक एवं व्यावहारिक विवक्षा के सम्बन्ध में विस्तृत विवेचना करने का प्रयास किया गया है। स्पष्टीकरण के लिए उपयुक्त स्थानों पर निदर्शी उदाहरण दिये गये हैं और साथ ही रेखाचित्रों का भी प्रयोग किया गया है, जिनकी सहायता से पाठकों को प्रत्यात्मक स्पष्टता हो जायेगी, ऐसा विश्वास है।
अभ्यास के लिए प्रत्येक अध्याय की समाप्ति पर कुछ प्रश्न उत्तरों सहित दिये गये हैं। पुस्तक के अन्त में संदर्भिका तथा कुछ सम्बद्ध सारणियाँ भी उपलब्ध हैं। यह सामग्री पाठकों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी, ऐसी आशा है।
मेरा यह प्रयास रहा है कि विषय सामग्री को ग्राह्य बनाने के लिए उसे सरल भाषा में प्रस्तुत किया जाये। परन्तु कहीं-कहीं भाषा क्लिष्ट लग सकती है। उसका कारण शैली की क्लिष्टता की बजाय तकनीकी शब्दों और वैज्ञानिक प्रस्तुतीकरण की क्लिष्टता समझा जाना चाहिए। सुविधा के लिए तकनीकी शब्दों के अंग्रेजी पर्याय कोष्ठकों में दे दिये गये हैं।
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