भूमिका
किसी विषय के बारे में बहुत कुछ कह जाना एक अत्वंन्त जटिल कार्य है। मापन एवं मूल्यांकन के बारे में भी विना उत्तका कुछ जान प्राप्त किये, प्रारम्भ में ही विद्यार्थियों को उसका गहन अध्ययन करा देना मात्र एक कल्पना से अधिक और कुछ भी नहीं। प्रारम्भ में तो बस इतना भर कहना ही उचित होगा कि इस विषय का मानव जीवन के प्रत्येक पक्ष में बड़ा महत्व है। वस्तुतः जिस आधुनिक सभ्यता में जीने पर हम गर्व महसूस करते हैं, उसकी आधार-शिला यही विषय है। इस विषय के समर्थन में स्वयं रॉस (Ross) महोदय लिखते हैं कि, “मानव के सभी यन्त्र यदि इस संसार से लुप्त कर दिये जायें तो आधुनिक सभ्यता बालू की दीवार की तरह भर-भराकर गिर जायेगी।” स्पष्ट है कि जीवन के विभिन्न पक्षों यथा-आर्थिक, सामाजिक, शैक्षिक, राजनैतिक आदि के अपने-अपने कुछ सत्य होते हैं, जिन्हें मापन एवं मूल्यांकन जैसे विषय एक व्यवस्थित स्वरूप प्रदान करते है यही वह स्थिति होती है। जब कोई सत्य, देश, काल एवं घटनाओं की परिधि में प्रतिनिधित्व की सामर्थ्य ग्रहण कर पाते है तथा एक नये इतिहास का निर्माण करते हैं। बाद में, इसी इतिहास की भूमि पर वर्तमान की विवेचना होती है तथा भविष्य की योजनायें खड़ी होती हैं। शिक्षा के क्षेत्र में इस विपय की सार्थकता पर कोई प्रश्न चिन्ह नहीं लगाया जा सकता। यदि इस विषय पर हिन्दी तथा अंग्रेजी में पर्याप्त पुस्तकें उपलब्ध हैं और सभी पुस्तकें एक-से-एक उत्तम हैं, फिर यह जिज्ञासा मन में उठनी स्वाभाविक ही है कि एक नई पुस्तक को श्रृंखलाबद्ध करने की आवश्यकता क्यों महसूस की गई?
इस प्रश्न के उत्तर में तथा पुस्तक लेखन के पीछे लेखकगण की जो भावना निहित है वह है-छात्रों को एक ऐसी पुस्तक उपलब्ध करना जो ‘handy and Comprehensive’ हो, साथ ही, उनकी सभी आंकाक्षाओं पर खरी उतरे। इसलिये पुस्तक को प्रत्येक दृष्टिकोण से सीमित रखा गया है। चाहे उसका स्वरूप विषय-वस्तु हो, आर्थिक हो, समय अथवा शक्ति हो।
लेखकगणों का विश्वास है कि पुस्तक छात्रों, अभिभावकों, शिक्षकों एवं शिक्षा-शास्त्रियों की विषयगत जिज्ञासाओं को किसी सीमा तक अवश्य संतुष्ट कर पायेगी। गागर में सागर भरने का प्रयास हर व्यक्ति का रहता है। लेखकगण भी स्वयं को इस भावना से वंचित नहीं रख पाये। इसी दृष्टि से पुस्तक की भाषा तथा उसके प्रवाह की ओर विशेष रूप से ध्यान दिया गया है। साथ ही पाठ्य-वस्तु के सूक्ष्म तथ्यों को भी सरलता से समझाने का प्रयास किया गया है
पुस्तक में सांख्यिकी को भी सम्मिलित किया गया है तथा उन सभी अध्यायों को संक्षेप में सम्मिलित करने का प्रयास किया गया है जो प्रारम्भिक सांख्यिकी (Elementary Statistics) के अन्तर्गत आते हैं। इस दृष्टि से पुस्तक विद्यार्थियों के लिये “Two-in-One” सिद्ध होगी।
पुस्तक आपके हाथों में है। इसका मूल्यांकन भी आप ही करेंगे। यदि पुस्तक छात्रों, शिक्षकों एवं शिक्षा जगत की कुछ भी सेवा कर सके तो लेखकगण अपने प्रयास को सफल समझेंगे।
यद्यपि, पुस्तक का प्रूफ-रीडिंग सावधनी से किया गया है, फिर भी, अनेक अशुद्धियों का रह जाना स्वाभाविक है। अतः
लेखकगण उन सभी पाठकों के आभारी रहेंगे जो पुस्तक की त्रुटियों के बारे में अवगत करायेंगे तथा अपने वहुमूल्य सुझाव देकर
लेखकगण को कृतार्थ करेंगे।
अन्त में, पुस्तक के शीघ्र प्रकाशन के लिये लेखकगण आर० लाल बुक डिपो, प्रकाशक एवं वितरक, मेरठ को कृतज्ञता ज्ञापित किये बिना भूमिका को विश्राम देना नहीं चाहते, उन्होंने जिस लग्न एवं तत्परता से कार्य को सम्पन्न किया, लेखकगण इसके लिये उनके आभारी हैं।
– लेखकगण
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