प्रस्तावना
मनोविज्ञान के नियमों एवं सिद्धान्तों पर अधारित ही शिक्षा पद्धति अपने उद्देश्यों की पूर्ति में सफल हो सकती है क्योंकि मनोविज्ञान के ज्ञान की सहायता से शिक्षक बालक की मानसिक प्रक्रियाओं, व्यवहार के लक्षणों तथा मनोगतिकी के नियमों को समझते हुए शिक्षण से जुड़ी समस्याओं को हल कर के कक्षा-शिक्षण को प्रभावी बना सकता है तथा इस प्रकार वह बालकों के विकास की प्रक्रिया को सही दिशा में निर्देशित कर विद्यालय में तथा इससे बाहर सफल समायोजन में उनकी सहायता कर सकता है। इस तथ्य को दृष्टिगत रखते हुए भारत के सभी विश्वविद्यालयों में शिक्षण से सम्बंधित पाठ्यक्रमों में शिक्षा मनोविज्ञान को एक अनिवार्य विषय के रूप में संकलित किया गया है।
पुस्तक के इस संस्करण का उद्देश्य बालकों के विकास, उस के व्यक्तित्व के विभिन्न पक्षों तथ
शिक्षण अधिगम सम्बंधी सभी संप्रत्ययों की सरल, स्पष्ट तथा बोधगम्य भाषा में वैज्ञानिक व्याख्या करना है इस पुस्तक में ऐसा करने का भरसक प्रयास किया गया है। आवश्यकतानुसार उदाहरणों, चित्रों, रेखाचित्र उद्धृत विवरणों तथा शोध अध्ययनों के परिणामों का प्रयोग भी दिया गया है। पुस्तक के प्रारम्भ में मनोविज्ञा की प्रकृति, विषय-वस्तु, क्षेत्र विस्तार के अतिरिक्त शिक्षा तथा शिक्षा मनोविज्ञान से इस के सम्बंध का व किया गया है। इससे अग्रिम अध्याय में बालक का विकास तथा उस के विकासात्मक पहलुओं की विवेच के साथ वंशानुक्रम एवं पर्यावरण का बालक के विकास पर प्रभाव का उल्लेख किया गया है।
अधिगम का मनोविज्ञान अधिगम-शिक्षण का एक अत्यन्त महत्वपूर्ण पक्ष होता है। यहाँ अधिगम के प्र सिद्धान्तों का विस्तृत वर्णन किया गया है। लेखन में इस बात का विशेष ध्यान रखा गया है कि पाठक विभिन्न
सिद्धान्तों के मौलिक लक्षणों / संप्रत्ययों का स्पष्ट ज्ञान संग्रहण कर सकें तथा इन सिद्धान्तों के शैक्षिक निहितार्थों को अपने व्यावसायिक जीवन में उपयोगी ढंग से प्रयुक्त कर सकें। तपश्चात् स्मृति एवं विस्मृति के लक्षणों, महत्वपूर्ण कारकों तथा इन से जुड़ी शिक्षण अधिगम की समस्याओं की चर्चा भी पर्याप्त विस्तार से की गई है। बालकों का अधिगम कई कारकों के हस्तक्षेप से प्रभावित होता है। जिनमें से परिपक्वता, आवधान, थकान तथा अभिप्रेरणा विशेष महत्व के होते हैं। इन से सम्बंधित कारकों तथा संप्रत्ययों का वर्णन विभिन्न अध्याय में विस्तार से किया गया है। अधिगम से जुड़ी उच्च मानसिक प्रक्रियाओं- चिन्तन तथा कल्पना का उनक
प्रकारों तथा शैक्षिक निहितार्थों सहित विस्तृत विवरण भी दिया गया है। बालक शिक्षा का केन्द्र बिन्दु होता है। शिक्षार्थी के मनोविज्ञान के प्रमुख पक्षों, विशेष रूप से बुद्धि, स की रूचियों, अभिक्षमताओं, रचनात्मकता तथा व्यक्तित्व की प्रकृति, व्यक्तित्व-सिद्धान्तों के प्रमुख उपागम व्यक्तित्व-मूल्यांकन से जुड़े अध्यायों को स्मृति एवं विस्मृति के विवरण के बाद रखा गया है।
निर्देशन एवं परामर्श अर्थात् निर्देशन तथा परामर्श की प्रकृति, आवश्यकता, प्रकार, विभिन्न उप
निर्देशन-मार्गदर्शन की विभिन्न प्रविधियों के अतिरिक्त, विद्यालय स्तर पर इन सेवाओं के नियोजना व्यावस्थापन तथा निर्देशनदाता के व्यक्तित्व-गुण एवं विद्यालय में उस के योगदान की विस्तृत व्याख्या की गा विद्यार्थियों के व्यवहार तथा अधिगम पर समूह गतिशीलता का प्रभाव अव
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