आमुख
बच्चों की वृद्धि और विकास के लिए गुणवत्तापूर्ण प्रारंभिक अनुभव महत्वपूर्ण होते हैं। शोधों से ज्ञात हुआ है कि सीखने के गुणवत्तापूर्ण प्रारंभिक अनुभवों का विद्यालय में समायोजन और बाद के वर्षों की शिक्षा एवं सीखने के स्तरों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। प्रारंभिक वर्षों में बच्चों के मस्तिष्क का तीव्रता से विकास होता है, उनकी सामाजिक और व्यक्तिगत आदतें तेजी से पनपती हैं और बच्चों के सर्वांगीण विकास की नींव पड़ती है।
प्रारंभिक अवस्था में बच्चों के सीखने के स्तर में बढ़ोत्तरी करने के लिए यह आवश्यक है कि उन्हें पूर्व-प्राथमिक विद्यालय में गुणवत्तापूर्ण अनुभव प्रदान किये जाएँ। गुणवत्तापूर्ण पूर्व-प्राथमिक शिक्षा उपलब्ध कराना संधारणीय विकास के लक्ष्य (Sustainable Development Goals) 2030 का भी एजेंडा है। इन वर्षों में हर बच्चे के लिए भावात्मक रूप से सहायक और प्रेरक खेलयुक्त परिवेश प्रदान करने के लिए निवेश करना अहम है। यह हर बच्चे का अधिकार ही नहीं, वरन जीवन के लिए एक सुदृढ़
आधार प्रदान करने का माध्यम भी है।
इस संदर्भ में, बच्चों को अच्छी गुणवत्तापूर्ण पूर्व-प्राथमिक शिक्षा उपलब्ध करवाने हेतु शिक्षकों, प्रशासकों, नीति नियोजकों और अन्य हितधारियों की मदद करने के लिए राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् दो दस्तावेज़ों पूर्व-प्राथमिक शिक्षा के लिए दिशानिर्देश और पूर्व-प्राथमिक
पाठ्यचर्या के साथ आगे आयी है।
यह दिशानिर्देश आधारभूत संरचना, पूर्व-प्राथमिक विद्यालय स्टाफ की योग्यताएँ और वेतन, प्रवेश प्रक्रिया और रखे जाने वाले रिकॉर्ड और रजिस्टर, देख रेख और निरीक्षण, समुदाय और अभिभावकों के साथ समन्वयन और अ
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