“मापन में सांख्यिकी” एक महत्वपूर्ण विषय है जो शैक्षिक और वैज्ञानिक अनुसंधान में प्रयोग होता है। इस विषय के अंतर्गत डेटा का संग्रह, उसका विश्लेषण और परिणामों की व्याख्या सांख्यिकीय विधियों द्वारा की जाती है। मापन में सांख्यिकी का उपयोग विभिन्न मापनों (जैसे परीक्षण परिणाम, मानवीय गुण, या भौतिक माप) के आंकड़ों की सटीकता और विश्वसनीयता को समझने के लिए किया जाता है।
इसमें निम्नलिखित महत्वपूर्ण बिंदु शामिल होते हैं:
सांख्यिकी की परिभाषा**: सांख्यिकी वह विज्ञान है जो संख्यात्मक डेटा के संग्रह, संगठन, विश्लेषण और व्याख्या से संबंधित है।
मापन के प्रकार**: इसमें नाममात्र, क्रमबद्ध, अंतराल, और अनुपात मापनों को शामिल किया जाता है, जिनका उपयोग विभिन्न प्रकार की विशेषताओं को मापने के लिए किया जाता है।
डेटा संग्रह विधियाँ**: प्रायोगिक अध्ययन, सर्वेक्षण, और अन्य तरीकों द्वारा डेटा को संग्रहित किया जाता है।
माध्यमिक सांख्यिकी**: इसमें माप के औसत, माध्य, माध्यिका, बहुलक जैसे मापांक शामिल होते हैं, जिनका उपयोग डेटा की सामान्य प्रवृत्ति को समझने के लिए किया जाता है।
विचलन माप**: मानक विचलन, परिवर्तनशीलता का गुणांक जैसे मापांक सांख्यिकीय विचलन को मापने के लिए प्रयोग होते हैं।
परिकल्पना परीक्षण**: इसमें सांख्यिकीय परीक्षणों (जैसे T-Test, ANOVA, Chi-Square) का उपयोग यह जाँचने के लिए किया जाता है कि किसी परिकल्पना को स्वीकार या अस्वीकार किया जाए।
ग्राफिकल प्रस्तुति**: डेटा की ग्राफिकल प्रस्तुति (जैसे बार चार्ट, पाई चार्ट, हिस्टोग्राम) मापन परिणामों को स्पष्ट और समझने योग्य बनाने के लिए की जाती है।
संभाव्यता और वितरण**: मापन में संभाव्यता सिद्धांत का प्रयोग यह अनुमान लगाने के लिए किया जाता है कि एक निश्चित घटना किस हद तक संभव है, और वितरण मापन के परिणामों का फैलाव दर्शाता है।
“मापन में सांख्यिकी” का उपयोग शिक्षा, समाजशास्त्र, चिकित्सा, विज्ञान और विभिन्न अन्य क्षेत्रों में होता है, जहाँ अनुसंधान, मूल्यांकन, और निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में माप और सांख्यिकी का विशेष महत्व है।
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