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शिक्षा के दार्शनिक आधार | Philosophical Foundations of Education (Hindi)

Author: Girish Pachaury

Publisher: R.Lall Book Depot

ISBN: 38633520350

260.00

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भूमिका

युक्तिपूर्वक तत्वज्ञान प्राप्त करने के प्रयत्न को दर्शन कहा जाता है। दर्शन सम्पूर्ण विश्व को समझने और उसकी संगत व्याख्या करने का एक प्रयास है। आज के युग में दर्शन की आवश्यकता अन्य सभी युगों से अधिक है क्योंकि दर्शन का कार्य जीवन की दिशा को निर्धारित करना है। आज मानव मूल्यों के विषय में अनिश्चितता है। आज राजनीति, धर्म और समाज आदि के विषय में कोई निश्चित मत नहीं पाया जाता है। आज प्राचीन मूल्य नष्ट हो रहे हैं लेकिन उनके स्थान पर नवीन मूल्यों की स्थापना नहीं हो पा रही है। ऐसी दशा में दर्शन ही अनिश्चितता का अन्त करके हमारा उचित मार्ग दर्शन कर सकता है। दर्शन हमें गूढ़ चिन्तन करने के योग्य बनाता है, हमारी तार्किक क्षमता को बढ़ाकर तर्कपूर्ण ढंग से चिन्तन करने की आदत डालता है, जीवन की नित नयी जटिल परिस्थितियों को सुलझाने में हमारी सहायता करता है और मानवीय मूल्यों के प्रति आस्था पैदा कर हमें सच्चा मानव बनाने का प्रयास करता है।

सभी दार्शनिक यह स्वीकार करते हैं कि दर्शन जीवन को सफल बनाने के लिए है। प्रत्येक दार्शनिक अपने दर्शन के अनुसार व्यक्ति और समाज को सँवारना चाहता है। महावीर, बुद्ध, ईसा, शंकराचार्य, सुकरात, प्लेटो, अरस्तू, रूसो, ड्यूवी, मार्क्स, गाँधी, विवेकानन्द, टैगोर, अरविन्द आदि दार्शनिकों ने निश्चय ही दर्शन को व्यावहारिक रूप देने में सफलता प्राप्त की है। इनके दार्शनिक विचारों से जनजीवन अत्यधिक प्रभावित हुआ है। दर्शन शिक्षा का प्रमुख आधार है। दर्शन के द्वारा ही शिक्षा के उद्देश्य, पाठ्यक्रम, शिक्षण विधि, अनुशासन, विद्यालय व्यवस्था आदि को एक निश्चित रूप प्रदान किया जाता है। इस प्रकार दर्शन शिक्षा की दिशा को निर्धारित करता है। दर्शन को समझे बिना शिक्षा के स्वरूप को समझना असम्भव है। शिक्षा के क्षेत्र में दर्शन का अपरिमित महत्व है। शिक्षा दर्शन के क्षेत्र में जहाँ पश्चिमी दार्शनिकों का योगदान अतुलनीय है वहाँ भारतीय दार्शनिकों का योगदान भी उनसे कम नहीं है। प्रस्तुत पुस्तक में पश्चिमी शिक्षा दर्शन के साथ-साथ भारतीय शिक्षा दर्शन की भी व्याख्या की गयी है। यह पुस्तक जहाँ स्नातक और स्नातकोत्तर कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी, वहीं शिक्षा में रुचि रखने वाले ज्ञान के जिज्ञासुओं के लिए भी सार्थक होगी। वस्तुतः दर्शन रुचिकर और उपयोगी होते हुये भी दुरुह विषय है, इसलिए अत्यन्त सरल और सहज भाषा में इसकी रचना की गयी है।

Weight 500 g
Dimensions 22 × 14 × 2 cm

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