प्रस्तावना
एक साल पहले मेरी ज़िंदगी बिखर गई थी। काम की थकान बहुत ज़्यादा थी, मेरे पिता अचानक गुज़र गए थे और सहकर्मियों तथा प्रियजनों के साथ मेरे संबंध काफ़ी निराशाजनक थे। उस वक़्त मुझे यह पता नहीं था कि मेरी इस गहरी निराशा से ही मुझे जीवन का सबसे बड़ा उपहार मिलेगा।
मुझे अचानक एक महान रहस्य जीवन के रहस्य की झलक मिली। झलक सौ साल पुरानी एक पुस्तक में मिली, जो मेरी बेटी हेली ने मुझे दी थी। इसके बाद मैंने इस रहस्य को इतिहास में टटोला। मैं यह जानकर हैरान रह गई कि बहुत से लोगों को इस रहस्य का ज्ञान था। वे इतिहास के महानतम व्यक्ति थे : प्लेटो, शेक्सपियर, न्यूटन, ह्यूगो, बीथोवन, लिंकन, इमर्सन, एडिसन, आइंस्टीन।
हैरानी से मैंने खुद से पूछा, “हर इंसान यह रहस्य क्यों नहीं जानता है?” इस रहस्य को दुनिया के हर इंसान तक पहुँचाने की इच्छा मेरे भीतर आग की तरह धधकने लगी। फिर मैं वर्तमान युग के उन लोगों को खोजने में जुट गई, जिन्हें इस रहस्य का ज्ञान था।
वे एक-एक करके प्रकट होने लगे। मैं जैसे चुंबक बन गई थी। मेरी खोज शुरू होते ही विशेषज्ञ एक के बाद एक मेरी ओर खिंचे चले आए। एक टीचर मिलने के बाद मुझे अपने आप दूसरे टीचर की कड़ी मिलती चली गई,
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