भूमिका
सामाजिक विज्ञान (Social science) शब्द को अनेक नामों से पुकारते हैं। सामाजिक अध्ययन, सामाजिक पर्यावरण एवं सामाजिक ज्ञान आदि के नाम से भी इसको सम्बोधित किया जाता है। सामाजिक अध्ययन एक ऐसा विषय है, जिसके अन्तर्गत हम सामाजिक गतिविधियों तथा क्रियाओं का अध्ययन करते हैं। इस विषय में व्यक्ति तथा उसके वातावरण के मध्य सम्बन्ध का भी विशेष रूप से अध्ययन किया जाता है। सामान्य रूप से इस विषय में उन सभी सामाजिक विज्ञानों की सामग्री सम्मिलित होती है जो व्यक्तियों के सामाजिक विकास में सहायक है। इसलिये सामाजिक अध्ययन विषय में इतिहास, नागरिकशास्त्र, राजनीतिशास्त्र, भूगोल, अर्थशास्त्र एवं समाजशास्त्र से सम्बन्धित विषय-वस्तु को सम्मिलित किया जाता है।
‘सामाजिक विज्ञान का शिक्षणशास्त्र’ पुस्तक में उपरोक्त सभी बिन्दुओं की यथास्थान चर्चा की गयी है। साथ-साथ नवीन पाठ्यक्रम के अनुरूप शिक्षक प्रशिक्षण में आने वाले शिक्षण सम्बन्धी विविध उपागमों, विधियों, तकनीकियों तथा समस्त शिक्षण प्रकरणों की चर्चा विस्तार से की गयी है। यह पूरी तरह से ध्यान में रखा गया है कि पाठ्यक्रम के अनुसार कोई भी बिन्दु रह न जाये।
इस पुस्तक को निम्नलिखित अध्यायों में वर्गीकृत किया है-
(1) सामाजिक विज्ञान के आधार अर्थ, प्रकृति, क्षेत्र, महत्त्व, भारत में सामाजिक विज्ञान का विकास, विख्यात समाज सुधारक, सह सम्बन्ध तथा उद्देश्य एवं लक्ष्य। (2) सामाजिक विज्ञान में पाठ्यक्रम एवं पाठ्य-पुस्तक। (3) सामाजिक विज्ञान के शिक्षण के लिये व्यूह रचनाएँ। (4) सामाजिक विज्ञान में अधिगम संसाधन। (5) सामाजिक विज्ञान में निर्धारण एवं मूल्यांकन। (6) सामाजिक विज्ञान की पाठ योजनाएँ।
यह प्रयत्न किया गया है कि यह पुस्तक विद्व प्रवक्ताओं के शिक्षण एवं सुधी पाठकों के अध्ययन प्रयोजन को पूर्ण कर सके। इस सम्बन्ध में हम कहाँ तक सफल हो सके हैं यह आप सभी के निर्णय पर आधारित है। किसी प्रकार की कमी होने पर आप हमारा ध्यानाकर्षण अवश्य करेंगे एवं अपने अमूल्य सुझावों से हमें अवगत करायेंगे। ताकि आगामी संस्करण को अधिकाधिक उपयोगी बनाया जा सके।
मंगलकामनाओं के साथ..
सम्वत् 2073
रामनवमी
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