प्राक्कथन
आज के इस भौतिकवादी युग में अन्य वस्तुओं के मापने के अनेकानेक तरीके उपलब्ध हैं, वहीं मनुष्य की बुद्धि मापन की विधियां भी विज्ञान की अद्भुत देन कही जा सकती हैं। किन्तु शिक्षा के क्षेत्र में मूल्यांकन की किस विधि को अपनाया जाए, कौन-सी विधि वैज्ञानिक है, इस संबंध में वैज्ञानिक मतैक्य नहीं हैं। मतैक्य होना भी नहीं चाहिए क्योंकि मूल्यांकन के लिए अपनायी जाने वाली हर विधि के अपने गुण-दोष हैं। प्रस्तुत पुस्तक में देश-विदेश में अपनायी जाने वाली प्राचीन एवं आधधुनिक परीक्षा प्रणाली का वर्णन उपलब्ध कराते हुए मापन एवं मूल्यांकन में हुए परिवर्तनों को स्पष्ट किया है।
प्रस्तुत पुस्तक ‘अधिगम के लिए आकलन’ विशेष रूप से बी०एड० के दो वर्ष के नवीन पाठ्यक्रम के आधार पर तैयार की गई है। प्रस्तुत पुस्तक ‘अधिगम के लिए आकलन’ की विषय-वस्तु के प्रस्तुतिकरण में सरलता, संक्षिप्तता तथा सारगर्भिता को समाहित कर इसकी स्वाभाविक भाषा-शैली सरल, ललित, सुग्राह्य, बोधगम्य एवं रुचिकर बनायी गई है। जहां तक सम्भव हो सका है, इसमें प्रमाणिक एवं नवीनतम सामग्री दी गई है। पुस्तक में विषय-वस्तु के रूप से संबंधित सैद्धान्तिक व क्रियात्मक तथ्यों, संकल्पनाओं एवं सिद्धान्तों को विस्तृत स्पष्टीकरण के साथ समाहित किया गया है। यदि पुस्तक प्रवक्ताओं एवं प्रशिक्षणार्थियों को एक नयी चेतना और अन्तर्दृष्टि प्रदान करने में किंचित भी सहायता प्रदान करती है, तो लेखक अपने को कृतकार्य समझेंगे।
पुस्तक की भाषा अत्यन्त ही सरल तथा प्रवाहमयी है। साथ-ही-साथ पुस्तक में अनेक चित्रों तथा तालिकाओं का भी प्रयोग किया गया है ताकि विद्यार्थी संबंधित विषय-वस्तु को अच्छी प्रकार से समझ सकें। विषय के अनुकूल यह पुस्तक प्रत्येक स्तर के विद्यार्थी को ध्यान में रखकर लिखी गई है। आशा है कि विद्यार्थीगण तथा अध्यापकगण इस पुस्तक का स्वागत करेंगे।
अन्त में हम उन सभी विद्वानों के प्रति जिनकी रचनाओं और कार्यों को हमने अपनी सुविधानुसार उपयोग किया है, आभार प्रदर्शन करना अपना प्रथम कर्त्तव्य समझते हैं। हम इस पुस्तक के प्रकाशक अमित प्रकाशन के प्रति भी आभारी हूं
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