अधिगम एवं शिक्षण | Learning And Teaching (Hindi)
ISBN: 9789387053960
भूमिका
किसी विषय के बारे में कुछ कह जाना एक अत्यन्त जटिल कार्य होता है। अधिगम एवं शिक्षण के बारे में भी बिना कुछ ज्ञान प्राप्त किये प्रारम्भ में ही विद्यार्थियों को उसका गहन अध्ययन करा देना मात्र एक कल्पना से अधिक और कुछ भी नहीं है। प्रारम्भ में तो बस इतना ही कहना उचित होगा कि शिक्षा मनोविज्ञान का मानवीय जीवन से प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से विशेष महत्व होता है। अतः इसके महत्व को देखते हुए इस पुस्तक को तैयार किया गया है। पुस्तक में प्रत्ययों को समझने का बारीकी से प्रयास किया गया है तथा यथास्थान उपयुक्त उदाहरणों के द्वारा भरपूर प्रयास किया गया है।
• यद्यपि इस विषय पर हिन्दी तथा अंग्रेजी में पर्याप्त पुस्तकें उपलब्ध हैं और सभी पुस्तकें एक-से-एक उत्तम है, फिर यह जिज्ञासा मन में उठनी स्वाभाविक है कि एक नई पुस्तक को श्रृंखलाबद्ध करने की आवश्यकता क्यों महसूस हुई ?
• इस प्रश्न के उत्तर में तथा पुस्तक लेखन के पीछे लेखकगण की जो भावना निहित है वह है, छात्रों को एक ऐसी पुस्तक उपलब्ध कराना जो Handy and Comprehensive ही साथ ही उनकी सभी आकांक्षाओं पर खरी उतरे। इसलिये इस पुस्तक को हर दृष्टिकोण से सीमित रखा गया है, चाहे उसका स्वरूप, विषय-वस्तु हो, या समय अथवा शक्ति हो। •
लेखकगणों का विश्वास है कि पुस्तक छात्रों, अभिभावकों, शिक्षकों तथा शिक्षा शास्त्रियों की विषयगत जिज्ञासाओं को किसी सीमा तक अवश्य संतुष्ट कर पायेगी। गागर में सागर भरने का प्रयास हर व्यक्ति का रहता है, लेखकगण भी स्वयं को इस भावना से वंचित नहीं रख पाते हैं। इसी दृष्टि से पुस्तक की भाषा तथा उसके प्रवाह की ओर विशेष रूप से ध्यान दिया गया है, साथ ही पाठ्य वस्तु के सूक्ष्मसूक्ष्म तथ्यों को भी सरलता से समझाने का प्रयास किया गया है।
• पुस्तक को लिखने में अनेक हिन्दी तथा अंग्रेजी पुस्तकों का सहारा लिया गया है। अतः लेखकगण उन सभी लेखकों तथा प्रकाशकों के प्रति आभार व्यक्त करते हैं, जिनकी रचनाओं में सहायता मिली है। लेखकगण उन सभी गुरुजनों, मित्रों, साथियों, सहयोगियों तथा शुभचिन्तकों के प्रति भी नतमस्तक हैं, जिनसे यदा-कदा भेंट सदैव एक प्रेरणा सम्बल बनी रही।
• पुस्तक आपके हाथों में है। इसका मूल्यांकन भी आप ही करेंगे। भावी पुस्तक छात्रों, शिक्षकों तथा शिक्षा जगत की कुछ भी सेवा कर सभी तो लेखकगण अपने प्रयास को सफल समझेंगे। अन्त में पुस्तक के शीघ्र प्रकाश के लिये लेखकगण आर० लाल बुक डिपो प्रकाशन एवं वितरक (श्री विनय रखेजा जी) मेरठ को कृतज्ञता ज्ञापित किये बिना भूमिका को विराम देना नहीं चाहते। उन्होंने जिस लगन एवं तत्परता से कार्य को सम्पन्न किया। लेखकगण इसके लिये उनके आभारी हैं।
– लेखकगण












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